चेन्नई. सम्यक दर्शन से जीवन का दीपक प्रज्वलित कर आत्मा से सिद्ध व नर से नारायण बन सकते हैं। सम्यकता प्राप्त करने के लिए नवपद का आसरा चाहिए।
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में मंगलवार को साध्वी कुमुदलता ने कहा कि सम्यक दर्शन धर्म का बीज है। सम्यक ज्ञान उसका पौधा तथा सम्यक चरित्र फूल है। आंखों से जिस प्रकार आंसू का संबंध होता है उसी प्रकार सम्यक दर्शन का साथ सम्यक ज्ञान का संबंध होता है।
उन्होंने कहा सम्यक दर्शन रूपी बुद्धि रखने वाला व्यक्ति संसार में धर्मरूपी मोती प्राप्त करता है। सम्यक दर्शन वाला व्यक्ति संसार में जाकर भी विरक्त रहता है। सम्यकत्व के तीन दोष होते हैं।
इस प्रकार सम्यक ज्ञान, दर्शन, चरित्र की प्राप्ति करने के लिए साध्वी ने सुन्दर उद्बोधन दिया। महावीर सिसोदिया ने संचालन किया। साध्वी ने कहा श्रद्धालुओं से कहा कि वे शरद पूर्णिमा के अवसर पर नवपद ओली के माध्यम से अधिक से अधिक संख्या में आयंबिल करें।