चेन्नई. वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में विराजित जयधुरंधर मुनि ने डॉ. पदमचंद्र मुनि के 56वें जन्म दिवस के अवसर पर कहा कि वे जिनशासन के एक देदीप्यमान नक्षत्र हैं जिनके प्रवचनों की गूंज चारों दिशाओं में फैली हुई है ।
अपने बहुमुखी व्यक्तित्व, उत्कृष्ट साधना एवं विशिष्ट आगम ज्ञान के कारण वर्तमान जैन जगत के संत समुदाय में अग्रिम पंक्ति में विद्यमान हैं। अपने प्रभावी, आगमिक व प्रेरक उद्बोधन से जन जन के आध्यात्मिक विकास और विशेषकर युवा पीढ़ी में धर्म दीप का प्रज्वलन का अद्भुत प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने भावी पीढ़ी की सृजनशील प्रतिभा शक्ति का सही दिशा में उपयोग कर धर्म जगत व सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन का सूत्रपात किया है। उन्होंने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए 2007 में समणी मार्ग प्रारंभ किया, जिनके माध्यम से आज देश-विदेश में धर्म का प्रचार हो रहा है।
महापुरुष वही होते हैं जो अपनी आध्यात्मिक चेतना के बल पर समाज में क्रांति का बिगुल बजाते हैं। महापुरुषों के जन्म दिवस पर उनके गुनाणुवाद के साथ ही उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना चाहिए। इस अवसर पर अनेक श्रावकों ने तेले के पच्चखाण ग्रहण किए।