एएमकेएम परिसर में शनिवार को मरुधर केसरी मिश्रीमलजी की 128वीं जन्म-जयंती उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि व तीर्थेशऋषि के सानिध्य में जप-तप, आराधना और सामायिक साधना के साथ मनाई गई।
उपाध्याय प्रवर ने मरुधर केसरी का जीवन परिचय देते हुए कहा कि जब दुनिया में अशांति, पाप, क्रोध और बुराइयां पनपती है, तब-तब दुनिया में मरुधर केसरी जैसे महापुरुषों का आगमन होता है। जिनके पास मर्यादा को जीने का बल और साधना से सिद्ध मंगलपाठ हो तो वे स्वयं के साथ-साथ दूसरों की बाधाएं भी दूर करते हैं। उनके पास परंपराओं से हटकर दृष्टिकोण और समाज का नजरिया बदलने की सामथ्र्य थी। वे मंगलपाठ के साथ मंगल व्यवस्था भी करते थे और जरूरतमंद की सहायता भी।
आस्था को ही व्यवस्था का बल मिलता है, वे देखते नहीं थे कि आनेवाला व्यक्ति किस परंपरा का है।
प्रवीणऋषि ने कहा, इस संसार के दलदल में गुरुदेव ने जिनशासन के संघ का कमल खिलाया। उनके जीवन में पारस्परिक प्रेम और विश्वास का अनवरत स्रोत बहता था। जिस पर उनकी कृपा बरसे वह कभी छोटा नहीं हो सकता। उनके अन्तर में आस्था का बल था जिससे असंभव भी संभव हो जाता है। उन्होंने मानव कल्याण के लिए अनेकों संस्थाएं स्थापित करवाई जिनके अंतर्गत अनेकों जीव गुरुदेव की शीतल कृपा-छाया पाते हैं।
गुरुदेव की जयंती पर निश्चय करें कि अपनी आस्था और धर्म को सुरक्षित रख पाएंगे तो ही संघ और आप सुरक्षित रहेंगे और आपकी आगे की पीढ़ी गौरवान्वित होगी। मरुधर केसरी के बताए मार्ग पर चलें और उनके जीवन मूल्यों को अपने जीवन में उतारें तभी गुरुदेव की जयंती मनाना सार्थक रहेगा।
उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि चातुर्मास समिति के महामंत्री अजीत चोरडिय़ा, कार्यक्रम में चातुर्मास समिति, एएमकेएम ट्रस्ट के पदाधिकरियों के साथ पारसमल नाहर, गौतमचंद मूथा, शांतिबाई नाहटा, ताराचंद दुगड़, ज्ञानचंद बोहरा, महावीरचंद भंडारी, नरेन्द्रमल कोठारी के के अलावा टी.नगर, सैदापेट, साहुकारपेट संघों के पदाधिकारियों ने अपने भाव व्यक्त किए।
रविवार को एएमकेएम महिला मंडल के तत्वावधान में प्रात: 8 से 9 बजे रक्षाबंधन पर कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें बेस्ट होममेड राखी, थाली सजावट, मेहंदी मांडने जैसी विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।