चेन्नई. आचार्य वर्धमानसागर सूरी एवं आचार्य विमलसागर सूरी की प्रेरणा से पांच सौ से अधिक साधकों ने निरंतर तीन दिन के उपवास की साधना की। वेपेरी जैन संघ के उपाश्रय में सभी तपस्वियों के पारणे हुए। कई ने जीवन में पहली बार उपवास किया।
इस अवसर पर आचार्य विमल सागर ने कहा कि सभी साधनाओं में उपवास की तपस्या कठिन है। सारी भोजन सामग्री उपलब्ध होते हुए भी संकल्पपूर्वक उसका परित्याग कर तपस्या करना श्रेष्ठ आध्यात्मिक साधना है। अधिक ममत्वशील व्यक्ति उपवास नहीं कर सकता।
निष्काम भाव से की गई तपस्या चमत्कारों का सृजन कर देती है। जो बिना किसी कामना के सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति एवं कर्म निर्जरा के लिए तप करते हैं, ऐसे साधक हृदय से प्रणम्य है। भगवान महावीर ने आत्म कल्याण के लिए निरंतर साढे बारह साल तक तपस्या की।
जैनाचार्य ने कहा संकेतों को पाने व संकल्पों की सिद्धि के लिए भी तपस्या करने के लिए अनेक उल्लेख जैन साहित्य में मिलते हैं। तीर्थंकर या दैविक तत्व के समक्ष संकल्पपूर्वक तपस्या कर कार्यसिद्धि की जा सकती है।
संकल्प में मनुष्य के मन एवं विचारों का अदभुत बन होता है। पवित्र मन से की हुई साधनाएं सिद्धि को दिलाती है।