Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

सभी जीवो को अपने प्राण प्रिय हैं- जयधुरंधर मुनि

सभी जीवो को अपने प्राण प्रिय हैं- जयधुरंधर मुनि
वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए जयधुरंधर मुनि ने कहा कि संसार के समस्त जीवों को अपने प्राण प्रिय होते है। सभी जीव जीना चाहते है, कोई भी मरना नहीं चाहता है।
भारतीय संविधान भी सभी को जीने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। स्वयं के प्राणों की रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर रहने वाला मनुष्य यदि दूसरों के प्राणों का हनन करता है, तो यह सरासर अन्याय है। जब कोई किसी को प्राण दे नहीं सकता, तो उसे लेने का भी किसी को हक नहीं है।
अज्ञानी जीव स्वयं के सुखों की पूर्ति हेतु क्रूरता पूर्वक दूसरों को दुख देने के लिए तत्पर बन जाता है। जहां क्रूरता होती है, वहां सामने वाले के प्रति अनुकंपा नहीं रहती है। निरपराध प्राणियों को मारना, पशुओं पर निर्दयतापूर्वक प्रहार करना, किसी को रोषवश पीटना, बांधना,  कष्ट देना ये सब क्रूरता के लक्षण होते है।
एक सच्चा एवं अच्छा श्रावक बनने के लिए सभी जीवों पर करुणा रखते हुए क्रूरता का त्याग करना होगा। भगवान महावीर ने अहिंसा का सूक्ष्म वर्णन करते हुए भावों से, मन से की जाने वाली हिंसा को घातक बताते हुए उसका निषेध किया है।
इस अवसर पर आज सामूहिक लाल वर्ण एकासन का आयोजन किया गया। रविवार को जयधुरंधर मुनि आदि ठाण 3 के सानिध्य में दोपहर में प्रवचन रखा गया है। प्रातः सुबह अणुप्पेहा ध्यान की कक्षा एवं बच्चों के लिए शिविर का आयोजन भी रखा गया है। जवहरलाल बरमेचा ने नौ उपवास का प्रत्याख्यान ग्रहण किया।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar