Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

सद्गुरु मिलने से ही जीवन की सही शुरुआत: साध्वी कंचनकंवर

सद्गुरु मिलने से ही जीवन की सही शुरुआत: साध्वी कंचनकंवर

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम मेमोरियल सेन्टर में विराजित साध्वी कंचनकंवर के सान्निध्य में साध्वी डॉ. इमितप्रभा ने कहा चातुर्मास हमें प्रेरणा देता है कि वर्ष के आठ माह भौतिक कार्यों में व्यस्त रहने के बाद अब वर्षा ऋतु के चार माह का समय धर्म और आत्म चिंतन में बिताना चाहिए।

ग्रंथों में आया है कि छह आरों में से प्रत्येक की शुरुआत आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन ही हुई है इस कारण इस पूर्णिमा महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सृष्टि चक्र में यह नववर्ष है। इस नए वर्ष में अपनी आत्मा को आत्मदर्शन से चमकाने में कम से कम इन चार माह का समय व्यतीत कर लें। इस काल में पहला ब्रह्मचर्य, दूसरा रात्रि भोजनग, तीसरा जमींकंद, चौथा मोहवर्धक साधनों का त्याग करने का प्रण लेकर अपनी आत्मशुद्धि के चार स्तम्भ बना लें।

उन्होंने कहा कि जैन धर्म ही नहीं विश्व के सभी धर्मों में गुरु का स्थान महत्वपूर्ण बताया गया है। जो व्यक्ति गुरु की आज्ञा और सानिध्य में समर्पण से रहता है, गुरु के उपकारों को सदैव याद रखता है तो उसका कल्याण होता है। गुरु तो शिष्य को स्वयं के जैसा ज्ञानी और सिद्धबुद्ध बना देते हैं।

साध्वी डॉ. हेमप्रभा ने कहा चातुर्मास शब्द हमें धर्म की प्रेरणा देता है।जीवन के उपवन को इस चार माह के वर्षाकाल में धर्म से हराभरा बना लें।
उन्होंने बताया कि गुरु पूर्णिमा हमें अपने गुरुओं के उपकारों को सदैव स्मरण करने की प्रेरणा देती है। इसके चन्द्रमा के समान समस्त कलाओं युक्त होता है। जिनकी कृपा से गुमराह को भी राह मिल जाती है।

वे ऐसे कुंभकाम होते हैं जो शिष्य रूपी मिट्टी को भी सुंदर मंगल कलश का आकार देते हैं। बीज को भी वटवृक्ष तथा पत्थर से प्रतिमा बनाने वाले शिल्पी होते हैं। वे काष्ठ की नाव के समान स्वयं तो तिरते ही हैं अपने शिष्यों को भी भव बंधनों से तिरा देते हैं।

उनके साथ अटल आस्था, विश्वास और श्रद्धा रखनी चाहिए, गुरु का सामथ्र्य नरक के द्वारों को भी बंद करने का होता है। यदि जीवन में सद्गुरु मिल जाए तो जीवन की सही शुरुआत हो जाए।

कार्याध्यक्ष पारसमल सुराणा ने बताया कि प्रतिदिन सुबह 8.15 से 9.15 बजे तक युवाओं के लिए जैनत्व क्लास होगी। 18 जुलाई को मध्यान्ह 2 बजे से जाप होगा।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar