चेन्नई. नंगनल्लूर स्थित एस.एस.जैन स्थानक में विराजित उपप्रर्वतक श्रुतमुनि ने श्रद्धालुओं को सत्संग का महत्व बताते हुए कहा सत्संग में जाने से ज्ञान, त्याग, श्रद्धा, पुण्य और प्रेमभाव बढ़ता है। सत्संग से ही धर्म के मर्म को समझा जा सकता है।
सत्संग से क्रोध, मान, माया, लोभ की प्रवृत्ति घटने लगती है। जन्म, जरा से पीडि़त व्यक्ति के लिए सत्संग ही सच्चा साक्षी है। सत्संग में मनुष्य की दिशा के साथ ही दशा भी बदल जाती है। अशुभ भाव भी शुभ भाव में परिवर्तित हो जाते हैं।
अंतिम समय में कवि कबीरदास के सत्संग के अभाव में अश्रुधारा बहने लगती है। धन तो ज्यादा से ज्यादा शरीर की रक्षा कर सकता है पर सत्संग तो आत्मा की रक्षा करता है। धर्म के बिना जीवन अधूरा है।
धर्म दिखावे के लिए नहीं बल्कि आत्मा में लगे पाप के मैल को मिटाने के लिए करना चाहिए। मुनिगण विहार कर आलन्दूर स्थानक पहुंचेंगे।