कोलकाता. हम अपनी बहन बेटियों के यहाँ जब जाते हैं तो हमारी विनम्रता, हमारी श्रद्धा, हमारा अपनत्व, हमारी वहां कुछ देने की प्रवृत्ति, वहां का अन्न पानी ग्रहण करने के बदले उससे ज्यादा की राशि उन्हें प्रदान करना, उन्हें सदा सुखी देखने में यथा संभव अपना प्रयास करना, उन पर स्वामित्व नहीं अपितु पराया धन मानना, उनके सुख दु:ख में सदैव साथ खड़े रहना, प्रत्येक तीज त्योहार के मौके पर उनके यहां कुछ भिजवाना, स्वयं के अलावा अपने परिवार को भी उनकी सार संभाल रखने की प्रेरणा देना आदि हमारी परंपरा है।
ठीक यही व्यवहार चेरिटेबल संस्थाओं के साथ भी करना हमारा संस्कार है। ऐसे संस्कार ही संस्थाओं को विकसित होने में व उनकी पवित्रता में मददगार सिद्ध होते हैं। उपरोक्त बातें विप्र फाउण्डेशन के संस्थापक संयोजक सुशील ओझा ने श्री परशुराम जयन्ती समारोह के अवसर पर विप्र फाउण्डेशन की पश्चिम बंगाल ईकाई द्वारा बीका बैंक्वेट में आयोजित समारोह में कहीं।
संस्था के अध्यक्ष राजकुमार शर्मा ने विधानपूर्वक पूजन किया। उन्होंने घोषणा की कि अगले दो महीनों तक विप्र शिक्षा निधि का संचालन बंगाल ईकाई करेगी। मंत्री मुल्तान पारीक ने प्रतिवेदन में लोगों से सक्रियतापूर्वक जुडऩे का आह्वान किया।
समारोह में बनवारीलाल सोती, रामगोपाल थानवी, सज्जनकुमार शर्मा, विमलेश शर्मा, चम्पालाल पारीक, दिलीप सिखवाल, गोपाल सुरावत, महेन्द्र पुरोहित, अशोक पुरोहित, प्रवीण शर्मा, बिष्णु शर्मा, महेन्द्र सुबकेवाल, प्रदीप आसोपा, सुभाष शर्मा, भंवरलाल जोशी, किशन साँखोलिया, महेश जोशी, रेणु मिश्रा, अशोक पारीक, दुर्गा व्यास, संगीता नागला, कृष्णा पारीक, ललिता जोशी, रेखा नारीवाल, कविता शर्मा, योगेश तिवाड़ी, हरीश चोटिया, शिवकिशन किराडू सहित बड़ी संख्या में विप्रजन उपस्थित थे।