गुरु गणेश हीरा जन्म दीक्षा जयंति पर सामायिक व गुणगान सभा आयोजित
चेन्नई. श्री एस. एस. जैन संघ, साहुकारपेट के तत्वावधान में कर्नाटक गज केसरी गणेश लाल जी म. एवं आचार्य प्रवर हीराचन्द्र म. की पावन जन्म एवं दीक्षा जयंति सामायिक एवं गुणगान सभा के रूप में जैन भवन, साहुकारपेट में आयोजित की गई।
इस अवसर पर श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि ने कहा कर्नाटक गज केसरी गणेश लाल म.संयम के सच्चे प्रतिमान थे। उनकी साधना के चार प्रमुख अंग थे- जप साधना, तप आराधना, आगम स्वाध्याय तथा सूर्य की आतापना लेते हुए ध्यान करना। विभिन्न प्रकार की कठोर साधनाओं के द्वारा उन्होंने अपने तन व मन को तपाया।
फलस्वरूप उनका आत्मा कुंदन के समान शुद्ध हो गया। उनके प्रवचनों से प्रभावित होकर ‘कर्नाटक गज केसरी’ के अलंकरण से श्री संघ ने उन्हें अलंकृत किया। जब भी कोई भक्त श्रद्धा से उनका स्मरण करता, तपस्वीराज का आशीर्वाद प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में उन तक पहुंच जाता था। किसी बच्चे को जब एक सर्प ने काट लिया तो गणेश लाल जी म. के मंगलपाठ श्रवण मात्र से ही उस बच्चे का विष दूर हो गया।
इसी के साथ आचार्य प्रवर हीरा चन्द्र म. की दीक्षा जयंति पर – प्रकाश डालते हुए ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. वरुण मुनि ने कहा आचार्य व्यसन मुक्ति के प्रबल प्रेरक हैं। राजस्थान के अनेक नगर-ग्रामों में आज की युवा पीढ़ी जहां धूम्रपानव मद्यपान आदि नशों की गिरफ्त में आ रही थी आचार्य हीरा चन्द्र ने अपने प्रवचनों के द्वारा बड़े ओजस्वी ढंग से युवा को समझाया। उनकी प्रभावशाली वाणी सुनकर सैकड़ों हजारों युवाओं के हृदय का जीवन परिवर्तन हो गया।
आचार्य बालक बालिकाओं के संस्कार निर्माण के प्रति भी विशेष रूप से जागरूक हैं। समय-समय पर स्वाध्याय शिविर, प्रशिक्षण शिविर एवं धार्मिक परीक्षाओं के द्वारा बच्चों, युवाओं व बुजुर्गों को सम्यक जीवन जीने की कला का ज्ञान सिखाया जाता है। गुरु हस्ती के स्वाध्याय एवं सामायिक के संदेशों की विरासत को आचार्य भगवन हीराचन्द्र बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं। हम उनके स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं। प्रवचन सभा में लुधियाना (पंजाब), हनुमानगढ़ (राजस्थान) एवं महाराष्ट्र से भी बड़ी संख्या में गुरुभक्त पधारे।