*विंशत्यधिकं शतम्*
*📚💎📚श्रुतप्रसादम्*
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*तत्त्वचिंतन:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन चरणरज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
9️⃣7️⃣
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श्री हरिभद्राचार्यजी ने
भावपूजा को सफल बनाने
33 कर्तव्यों का विधान किया है..
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माता पिता
विद्यागुरु, धर्मगुरु
आदि गुरुजनों के प्रति
विनय बहुमान भाव रखना.!
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हेय के त्याग में
उपादेय का आचरण के
यथाशक्ति प्रवृत्ति अवश्य करें.!
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कुछ
बोलने से पहले
कार्य करने से पहले
दीर्घदृष्टि से परिणाम का
विचार करके ही प्रवृत्ति करनी.!
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मृत्यु को
सदैव दृष्टि में रखें
अमरत्व लेके जन्मे है
ऐसे भ्रम में कदापि न रहें
जीवन की क्षणिकता एवं
नश्वरता को सदैव ध्यान में रखें
जिससे दुष्कृत्य पर रोक लगेगी.!
*📚श्री ललितविस्तरा वृत्ति📚*