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श्री महालक्ष्मी पाॅलीटेक्निक काॅलेज में शांतिदूत का पावन पदार्पण

श्री महालक्ष्मी पाॅलीटेक्निक काॅलेज में शांतिदूत का पावन पदार्पण
वैरानकुप्पम, कडलूर (तमिलनाडु): वर्ष 2019 का कडलूर में मंगल संदेश और मंगलपाठ प्रदान कर जन-जन का कल्याण करने निकले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा का कुशल नेतृत्व करते हुए कडलूर जिले के वैरानकुप्पम स्थित श्री महालक्ष्मी पाॅलीटेक्निक काॅलेज परिसर में पधारे। 
बुधवार की प्रातः आचार्यश्री ओल्ड टाउन से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री अपने मार्ग में आने वाले श्रद्धावान लोगों को अपने पावन आशीर्वाद से लाभान्वित करते हुए गतिमान थे। आज सूर्य की प्रखरता अन्य दिनों की अपेक्षा कुछ ज्यादा महसूस हो रही थी। इस कारण जैसे-जैसे दिन चढ़ता जा रहा था, सूर्य की किरणें आतप बरसा रही थीं। ऐसे माहौल में भी समताभावी आचार्यश्री लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर वैरानकुप्पम स्थित श्री महालक्ष्मी पाॅलीटेक्निक काॅलेज परिसर में पधारे तो आचार्यश्री के आगमन से हर्षित विद्यालय के संस्थापक लाॅयन श्री के. रवि ने शिक्षकों और विद्यार्थियों सहित आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। 
आचार्यश्री काॅलेज परिसर में आयोजित मंगल प्रवचन में पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि क्षमा एक धर्म है। क्षमा मोक्ष का मार्ग है। एक श्लोक में कहा गया है कि मैं सभी जीवों को क्षमा करता हूं, सभी जीव मुझे क्षमा करें। सभी जीवों से मेरी मित्रता है, मेरा किसी से वैर नहीं। इस श्लोक के माध्यम से मैत्री की भावना और अहिंसा की प्रबलता प्रदान की गई है कि यदि आदमी के भीतर ऐसे भाव आ जाएं तो चारों ओर शांति हो सकती है और ऐसी भावना रखने वाला मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। 
क्षमा का अर्थ सहन करना होता है। कोई आदमी किसी को कुछ गलत कह दे अथवा कोई कड़ी बात कह दे तो अगला आदमी आवेश में आ जाता है। उसके मन में दूसरे व्यक्ति के लिए द्वेष, हिंसा और वैमनष्यता की भावना आ जाती है अथवा आदमी कुछ कर भी सकता है। वह आदमी अधीर हो जाता है, प्रतिक्रिया दे देता है। वहीं एक आदमी है, उसे किसी ने कुछ गलत भी कह दिया तो वह उसे सहन कर लेता है और उसे क्षमा कर देता है। क्षमा को वीरों का आभूषण बताया गया है।
क्षमा भी उस आदमी को शोभती है, जिसके पास शक्ति होने के बाद भी वह दूसरों को क्षमा प्रदान कर देता है। जो कमजोर हो, जिसमें इतनी क्षमता ही नहीं कि वह किसी का प्रतिकार कर सके तो भला क्षमताहीन व्यक्ति का क्षमा किस काम का। भला कमजोर आदमी क्षमा को धारण भी कैसे कर सकता है। कोई व्यकित वीर हो, शक्तिशाली हो तो वह क्षमा कर भी सकता है। 
मौत कभी किसी को क्षमा नहीं करती। मौत के समाने चाहे कोई काली गाय बन जाए अथवा भले वज्र के मकान में छिप जाए, मौत उसे वहां से भी उठा ले जाती है। आदमी को अपने भीतर क्षमा के भाव का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त काॅलेज के संस्थापक श्री के. रवि तथा स्थानीय सीआईडी इन्सपेक्टर श्री महाविष्णु ने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन मार्गदर्शन प्राप्त किया। 

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