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श्रावक के तीन मनोरथ एवं चौदह नियम: साध्वी जागृतीश्री

श्रावक के तीन मनोरथ एवं चौदह नियम: साध्वी जागृतीश्री

चेन्नई. एस.एस. जैन स्थानक, कोसापेट में साध्वी जागृतीश्री के सान्निध्य में धार्मिक शिविर के आयोजन का दूसरा एवं अंतिम दिन था। उन्होंने श्रावकों को तीन मनोरथ एवं चौदह नियम के बारे में समझाया। पहला मनोरथ आरम्भ, परिग्रह नहीं करना।

आरम्भ का मतलब हिंसा नही करना एवं परिग्रह का मतलब जरूरत से ज्यादा संग्रह नहीं करना। दूसरा मनोरथ यह चिंतन करना कि वह दिन श्रावक की जिंदगी का धन्य होगा, जिस दिन वह पांच महाव्रत, पांच समिति, तीन गुप्ति से शुद्ध साधु जीवन की आराधना करेगा। तीसरा मनोरथ-जीवन के अंतिम क्षणों में सलेंखना संथारा से पंडित मरण का प्राप्त होना।

श्रावक के चौदह नियम को भी बहुत ही सरल एवं सुक्ष्म तरीके से व्याख्या करके बताया कि कैसे श्रावक चौदह नियम को जीवन मे अंगीकार कर एक शुद्ध श्रावक बन सकता है।

जैसे प्रतिदिन सचित का त्याग, खाने में द्रव्य की मर्यादा रखना, पांच विग्रह -घी, तेल, दूध, दही, मक्खन एवं श्क्कर, कपड़े पहनने की मर्यादा, वाहन, बृह्मचर्य पालन, दिशा भ्रमण इत्यादि।

शिविर में लगभग 140 युवाओं की उपस्थिति रही, एवं सभी ने चौदह नियम पालन करने का त्याग, प्रत्याख्यान ग्रहण किया। साध्वी जागृतीश्री सोमवार सुबह विहार कर अयनावरम पधारना संभावित है। साध्वी जागृतीश्री का आगामी चातुर्मास समता भवन, कोंडितोप चेन्नई में संभावित है। यह जानकारी समता युवा संघ, तमिलनाडु के अध्यक्ष दीपक सुराणा ने दी।

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