चेन्नई. वेपेरी जैन संघ के तत्वावधान में बुद्धिवीर वाटिका में आचार्य विमलसागर सूरी ने कहा श्रवण एक महान योग है। जो सुनने की कला सीख लेते हैं, वे ज्ञानी बन जाते हंै। धर्म उपदेश का श्रवण और ग्रहण एक प्रकार की साधना है जो सुन नहीं सकता वो कभी आध्यात्मिक विकास नहीं कर सकता।
श्रवण में जीवन के हित में समाए हुए हैं। सुन सुन कर ही आत्मा पावन बनती है। इसलिए जीवन में कुछ बनें या न बनें सुनने का प्रयत्न जरूर करना चाहिए। जो सुन नहीं सकता। धर्म प्रवचनों का श्रवण जीवन का प्रशस्त करता है। बुद्धिमान ज्ञानी परिपक्व उदार सहृदयी और दयालु होने का पहला सूत्र है धर्म श्रवण।
धर्म प्रवचन स्पिरिचुअल रिफाइनरी है। अज्ञान और विषय वासना का कचरा इसी से साफ होता है। प्रवचनों के श्रवण से आत्मा हल्की होती है। सकारात्मक सोच तैयार होती है। प्रवचन प्रेरणा के मूल स्रोत होते हैं। इनसे आत्मा बलवती बनती है। इनसे तत्व चिंतन से की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। अध्यात्म से जीवन के रहस्य खुलते हैं।
जैन परंपरा में महावीर की वाणी का अत्यधिक महत्व है। शास्त्रों ने इसे तीर्थ यात्रा, पूजा और तपस्या से भी अधिक मूल्यवान माना गया है। सारी धर्म आराधनाओं का प्रारंभिक सूत्र है प्रवचनों का श्रवण ,चिंतन, मनन और अनुशीलन।