भगवान महावीर परिनिर्वाण दिवस, दीपावली पर आयोजित संध्याकालीन वृहद् मंगलपाठ को सुनने के लिए देश विदेश से हजारों की संख्या में उपस्थित हुए श्रद्धालु| चाहे तेरापंथी हो या अदर तेरापंथी, जैन हो या अजैन, हिन्दी भाषी हो या तमिल भाषी,शाम को 07.30 बजे माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी दीपावली के मंगल पर्व पर विशेष वृहद् मंगल पाठ जब उच्चरित कर रहे थे, उस विशेष अवसर को स्वयं, साक्षात् अपने आराध्य के श्रीमुख से सुनने को लगभग 15000 श्रद्धालु उपस्थित हुए|
पुरा समवसरण ही नहीं, अपितु उसके बाहर भी लोगों को जहां जगह मिली, वहीं खड़े – खड़े श्रद्धालु, श्रद्धा के साथ वृहद् मंगलपाठ का श्रवण कर, भगवान महावीर को श्रद्धा सुमन अर्पण के साथ, स्वयं अपने लिए भी शुभकामनाएँ की!
इस अवसर पर मंगलपाठ के साथ प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि दीपमालिका का यह पर्व, परम प्रभु भगवान महावीर का परिनिर्वाण पावापुरी आज की कार्तिकी कृष्णा अमावस्या की रात को हुआ और गौतमस्वामी को भी आज की रात्री में केवलज्ञान की प्राप्ति हुई|
हम भगवान महावीर का श्रद्धा के साथ वन्दन, स्मरण, नमन करते हैं| आज के दिन भगवान महावीर ने देशना दी| एक संबोध दिया, वो अपने आप में एक निधि मानी जा सकती हैं| हम भगवान महावीर के संदेशों को, अहिंसा के रूप में, अनेकांत, शांति, संयम, तप जो बाते हमें आगमों में मिलती है, उसकी आराधना हो सके, उतनी करे|
विशेष प्रेरणा देते हुए आचार्य श्री ने आगे कहा कि यह दीपावली की पर्व पर हम अगले एक साल के लिए संयम, तप रूपी संकल्प को स्वीकार करें| हम आज के दिन नियमित सामायिक, माला, अमुक चीज नहीं खाने का, गुस्सा न करने का, गुस्से से बचने का प्रयास करने का इत्यादि कोई भी संकल्प लेने की प्रेरणा पर श्रद्धालुओं ने अपनी इच्छानुसार संकल्प स्वीकार किये|
इससे पूर्व प्रात:कालीन प्रवचन में दीपावली के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि भगवान महावीर इस अवसर्पिणी काल में भरत क्षेत्र के अंतिम तीर्थंकर हुए हैं| कोई प्रश्न कर सकता हैं कि तीर्थंकर 24 ही क्यों? कम, ज्यादा क्यों नहीं| लगता है यह सृष्टि का कोई शाश्वत नियम हैं|
प्रश्न यह भी हो सकता हैं कि दिन-रात में चौबीस घंटे ही क्यों? पर ये सब शाश्वत हैं| इसका उत्तर किसी के पास नहीं प्रत्येक घण्टे में हम प्रत्येक तीर्थंकर को जोड़ कर हम उनका स्मरण करें| लोगस्स पाठ का स्मरण करे, उसमें चौबीस तीर्थकरों की स्मृति हैं| दिन के हिसाब से देखे, तो लगभग अंतिम चौबीसवें घण्टे में भगवान महावीर का निर्माण हुआ था|
ज्योति से ज्योति के मिलन का दिन है – दीपावली
आचार्य श्री ने आगे कहा कि प्रश्न हो सकता हैं कि इस दिन को दीपमालिका के नाम से क्यों कहते हैं? अनेक बातें हो सकती हैं, खोजी जा सकती हैं| आज के दिन परम प्रभु, परम् ज्योति में मिल गये| यहां थे तब तो केवलज्ञानी थे, आज के दिन वे भी अनन्त सिद्धों की तरह उनकी आत्मा ज्योतिर्मय बन गई| ज्योति से ज्योति के मिलन का दिन है – दीपावली|
दीये से दीया जलें| 1 से 2-3 नहीं, कितने ही दीये जलाए जा सकते हैं| यहां धरती पर तो थोड़े दीये जले, पर सिद्धालय में तो अनन्त – अनन्त दीपक सिद्धों के रूप में प्रकाशमान है| भगवान महावीर की आत्मा भी दीये के रूप में प्रज्ज्वलित हो गई| नश्वर देह को छोड़ा, निर्वाण को प्राप्त हुए| आज की रात्रि में सिद्धावस्था में प्रवेश किया| अनन्तकाल की यात्रा को अलविदा कर अयात्रा के रूप में विराजमान हो गए|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि आज का दिन भगवान महावीर से सम्बन्धित हैं, तो गौतम स्वामी से भी सम्बन्धित हैं| आज ही की रात्रि में उन्होंने केवलज्ञान को प्राप्त किया| वे भगवान के परम विनीत, प्रथम कोटी के शिष्य थे| कोई कोई शिष्य को गुरु के साथ संवाद करने का मौका मिलता हैं|
भगवान महावीर और इन्द्रभूति गौतम के संवाद को भगवति आगम में कितनी बार गोयमा – गोयमा शब्द का उल्लेख मिलता हैं| भगवान महावीर और गौतम का पिछले जन्मों का भी सम्बन्ध था, अत: महावीर के निर्वाण पर मोह के कारण विलाप करने लग गये| पर तुरन्त गौतम स्वामी संभले, मोह का तिमिर हटा और वे केवलज्ञानी बन गये| आज की रात्री गौतमस्वामी के लिए भी महत्वपूर्ण बन गई|
तेजस्विता के योग से अमहत्वपूर्ण भी बनता महत्वपूर्ण
आचार्य श्री ने आगे कहा कि सामान्यतया अमावस्या शुभ कार्यों में अच्छी नहीं कहीं गयी हैं, परन्तु कार्तिक कृष्णा अमावस्या भी भगवान महावीर और गौतमस्वामी से जुड़ कर धन्य हो गयी| तेजस्विता का योग मिलता हैं, तो अमहत्वपूर्ण भी महत्वपूर्ण हो जाता हैं| बारह अमावस्याओं में इस अमावस्या को महत्व मिला, वह पूर्णिमा को भी नही मिला| काल तो काल होता हैं| जिस काल में अच्छा काम होता हैं, उसका महत्व अपने आप हो जाता हैं|
✍ प्रचार प्रसार विभाग
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई
विभागाध्यक्ष : प्रचार – प्रसार
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति