आज विजयनगर स्थानक भवन में प्रतिभाश्रीजी म सा ने सामायिक के महत्व पर विस्तार से समझाते हुए कहा कि शुद्ध सामायिक में इतनी शक्ति है कि इससे जीवात्मा मोक्ष को प्राप्त कर सकती है।साध्वीश्री ने पुण्या श्रावक की।सामायिक का उदाहरण देकर बताया कि जब परमात्मा की आज्ञा से श्रेणिक राजा पुण्या श्रावक की सामायिक खरीदने गया तो पता चला कि सृष्टि की कोई ताकत इसकी सामायिक का मोल नहीं चुका सकती है सिर्फ उसकी दलाली के लिए ही नो स्वर्ण पर्वत का मोल बताया।सामायिक करने से व्यक्ति को समभाव की प्राप्ति होती है।सामायिक का शाब्दिक अर्थ बताते हुए कि साधना, माला,यतना व कल्याण ही सामायिक का अर्थ है।जिससे श्रावक पहली सिद्धि को प्राप्त कर सकता है।
साध्वी दीक्षिता श्री जी ने आगमों में प्रतिभाश्रीजी म सा व छठे आरे का विवेचन सुनाते हुए कहा कि जँहा पांचवे आरे में हर तरफ पाखंडी व्यक्ति ज्यादा होंगे तथा आचार्य विभिन्न संप्रदायों में बंट जाएंगे।वंही छठे आरे दुखमा दुखमा में व्यक्ति सभी धर्म,कर्म व मर्यादाएँ भूल जाएगा व हर तरफ दुःख ही दुःख होगा।
साध्वी प्रेक्षाश्रीजी ने घमंड की व्याख्या करते हुए कहा कि घमंड व्यक्ति के सर्वनाश का कारण बनता है,घमंड व्यक्ति की बुद्धि को खा जाता है।उसकी हर अच्छाई को भी हर लेता है।युवा अवस्था में किया गया घमंड व्यक्ति को वृद्धावस्था में पंगु ,पराश्रित बना देता है।आठ प्रकार के मद है जो घमंड को बढ़ाते हैं।महाराज श्रेणिक का उदाहरण देते हुए समझाया कि इतने बल शाली राजा जिन्होंने कई युद्धों को जीता पर घमंड आ जाने से अंत समय उनका कारागार में निकला। आज श्रीमति दीपिका कोठारी हनुमंतनगर ने ग्यारह की तपस्या के प्रत्याख्यान लिए।
संघ के मंत्री कन्हैया लाल सुराणा ने सभी तपस्वियों का अभिवादन किया।