आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी के सान्निध्य में *”आनंद जैन विधालय”* में आज नये सत्र के शुभारम्भ पर कार्यक्रम आयोजित हुआ।
शिक्षा का उद्देश्य बताते हुए मुनि रमेश कुमार ने कहा – शिक्षा ग्रहण करने का उद्देश्य क्या है? सामान्यतया यही कहा जाता है अपने कैरियर बनाने के लिए शिक्षा ग्रहण की जाती है। शिक्षा के साथ मानवता का विकास हो भारतीय संस्कृति के प्राचीन मूल्यों के आधारित शिक्षा हो। आज शिक्षा बढ रही हैं, संस्कार घट रहे हैं। केवल अक्षर ज्ञान या तकनीकी शिक्षा से नये समाज को निर्माण नहीं हो सकता हैं| सेवा, सद्भावना, सहिष्णुता, समन्वय जैसे गुणों का भी विकास होना चाहिए।
मुनि सुबोध कुमार ने कहा- आज में अपनी स्कूल में आया हूँ। बहुत प्रसन्नता हो रही है। इसी स्कूल में मैने पढाई की। उस समय की बहुत से प्रसंग याद आ रहे हैं। आपने छात्र – छात्राओं को विनय ओर विवेक से शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा दी। विनय ओर विवेक से ग्रहण की हुई शिक्षा से कामयाबी दासिल होती है। आनंद जैन विधालय सदा शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति करता रहे।
इससे पूर्व स्कूल की छात्राओं ने नमस्कार महामंत्र ओर भक्तामर स्तोत्र के चयनित श्लोकों से प्रार्थना की। ज्ञानचंद जी मुणोत स्कूल अध्यक्ष ने मुनि द्वय का स्वागत किया। उत्तमचन्द जी विनायकिया , मंत्री गणपतराज जी सुराणा, प्रधानाध्यापिका श्रीमती मेगला जी जैन , सम्पतराज जी गांधी, जवरीलाल जी बम्ब विधालय के अध्यापक- अध्यापिकाएं भी इस अवसर पर उपस्थित थे। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।