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व्यक्तित्व विकास का उपक्रम ज्ञानशाला

व्यक्तित्व विकास का उपक्रम ज्ञानशाला
किलपाक ज्ञानशाला का स्थानांतरण कार्यक्रम मुनि श्री रमेशकुमारजी ठाणा 2 के सान्निध्य में श्री अशोकजी पुखराजजी परमार के निवास स्थान पर आयोजित हुआ ।
श्रीमती उमरावबाई परमार* के कर कमलों से क़िलपाक ज्ञानशाला के नए स्थान का उद्घाटन हुआ । कार्यक्रम की शुरुआत किलपाक ज्ञानशाला प्रशिक्षकों के मंगलाचरण से हुई।स्वागत भाषण श्रीमती रेखा L गादिया ने दिया। ज्ञानशाला के विद्यार्थियों द्वारा भिक्षु अष्टकम और संस्कार सप्तक की सुंदर प्रस्तुति के बाद  किल्पाक ज्ञानशाला का परिचय संयोजिका श्रीमती वीणा कतरेला ने दिया ।
उपरोक्त विचार आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी ने किलपाॅक ज्ञानशाला के स्थान परिवर्तन पर नये सत्र के शुभारंभ पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये ।
मुनि श्री रमेश कुमार कहा  वर्तमान युग में शिक्षा का विकास हो रहा है परन्तु संस्कार घर रहे हैं । शिक्षा के साथ संस्कार निर्माण की ओर ध्यान देना चाहिए । तभी हमारी धर्म संस्कृति सुरक्षित रह सकती है । संस्कार सृजन का एक उपक्रम ज्ञानशाला है । जहां प्रशि क्षित प्रशिक्षिकाओं द्वारा छोटे छोटे बच्चों को संस्कारी बनाने का प्रयास किया जाता है । धार्मिक शिक्षा के साथ ज्ञान वर्धक प्रतियोगिता, लघु परिसंवाद , खेलकूद आदि पर भी ध्यान दिया जाता है दृष्टि से व्यक्तित्व विकास का उपक्रम ज्ञानशाला बन रहा है । 
श्री प्रकाशजी मुथा, चेन्नई ज्ञानशाला व्यवस्थापक श्री सुरेशजी बोहरा तथा परमार परिजन की गरिमामय उपस्थिति रही।किलपाक ज्ञानशाला व्यवस्थापिका श्रीमती रेखा M गादिया ने नवकार मंत्र का जप एवम लोगस्स का ध्यान करवाया । श्री सुरेशजी बोहरा ने प्रकाशजी मुथा का सम्मान किया ।
कार्यक्रम का  संचालन सह आँचलिक संयोजिका श्रीमती अनिताजी चोपड़ा और बबिताजी चोपड़ा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन मुख्य प्रशिक्षिका श्रीमती अनिताजी सुराणा ने किया।

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