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विश्व के 75 रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ काशी कोतवाल भैरव उत्सव

विश्व के 75 रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ काशी कोतवाल भैरव उत्सव

वाराणसी। त्रिकाल योगी भैरव देव के सिद्ध साधक, राष्ट्रसंत पूज्यश्री वसंतविजयजी महाराज साहब ने कहा कि रुद्र रूप, त्रिकाल दर्शी भगवान भैरवदेव का जन्मदिवस इस ब्रम्हांड में सर्वथा प्रसन्नता प्रदान करने वाला है। भैरव देव अपने भक्तों की सच्ची, सरल भक्ति से शीघ्र प्रसन्न होकर उसे निर्भय, समृद्धिवान एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला बना देते हैं। वे बुधवार को यहां रामनाथ चौधरी शोध संस्थान में विश्व स्तरीय ऐतिहासिक काशी कोतवाल भैरव उत्सव की पूर्णाहुति अवसर पर बोल रहे थे।

पूज्यश्री की निश्रा में आयोजन में एक लाख भैरव मूर्तियों के निर्माण के साथ एक लाख ही घी के दीपों को रौशन कर भैरव दीपावली मनाई गई, यही नहीं एक लाख की इमरती नैवेध्य आदि पूजन का भारत, एशिया सहित विश्व के 75 रिकॉर्ड्स बुक में नाम दर्ज हुआ। उल्लेखनीय है कि विश्व इतिहास में इस मनुष्य लोक में भैरवाष्टमी के पर्व पर वृहद एवं व्यापक स्तर पर भव्य आयोजन पूज्य गुरुदेव श्रीवसंतविजयजी म.सा. के सान्निध्य में काशी में ही सम्पन्न हुआ है। इस दौरान आठ दिनों तक विशाल राजशाही भंडारे में लाखों लोगों ने प्रसाद भी पाया। कार्यक्रम में 53 पाउंड का केक व आठ वैरायटी की हज़ारों चॉकलेट्स भी बटुक भैरवजी को अर्पित की गई। इस अवसर पर पूज्यश्री वसंतविजयजी म.सा.ने भैरव देव के प्राकट्य दिवस के तहत अंधकासुर दैत्य के वध प्रसंग का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि आज ही के पतित पावन दिवस पर काशी में कोतवाल भैरवजी का जन्म हुआ था।

काशी में भयमुक्त, पाप मुक्त, दुख मुक्त काशी के कोतवाल भैरव देव करते हैं तथा मुक्ति भगवान विश्वनाथ शंकरजी के द्वारा हो जाती है। सर्वधर्म दिवाकर संतश्रीजी ने कहा कि भगवान शंकर की पूजा और भैरव देव की पूजा में भेद मानने वाले की पूजा सफल नहीं होती है। वे बोले कि अज्ञानी व्यक्ति भगवान के रूपों में भेद करता है जबकि शिव और भैरव एक ही है। रुद्रावतार सर्व प्रकार से सर्व रक्षक के रूप में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। आध्यात्म योगीराजश्री वसंतविजयजी महाराजा ने यह भी कहा कि भगवान को रिझाने के लिए स्वार्थ छोड़ें तथा भक्ति की डोज बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि भक्ति छोटी है, प्रभु की कृपा सबसे बड़ी है। दुर्गा कुंड स्थित मां दुर्गादेवी मंदिर के पंडितश्री केवलकृष्ण द्विवेदी ने भी संतश्री का आशीर्वाद लिया।

संध्या काल के प्रहर के बाद अति उत्कृष्ट बलवान बनने वाले भैरवदेव के समक्ष दीपदान मंत्र से एक लाख दीप रोशन किए गए। इस दौरान भैरवमय हुई काशी नगरी में भक्तों के जयकारों एवं तालियों की गूंज के साथ आयोजन की पूर्णाहुति से पूर्व 25 राज्य एवं 20 देशों से आए हजारों श्रद्धालुओं तथा काशी वासियों की अपार श्रद्धा भक्ति भरे इस उत्सव का सीधा प्रसारण थॉट योगा यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रसारित किया गया। उपस्थित सभी भक्तजनों में प्रसाद वितरित किया गया। साथ ही मां गंगाजी की भी 21 पंडितों द्वारा विधिवत आरती की गई। आयोजन स्थल पर विराट सौ फीट के जागृत भैरव देव की मूर्ति की परिक्रमा में भी भक्तों में प्रातः से लेकर देर रात तक लंबी कतार बनी रही।

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