कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में पर्युषण पर्व के सातवें दिन जैन दिवाकर दरबार में विमलशिष्य वीरेन्द्रमुनि ने धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि आज हम संतों की बीती बातें सुनाने का व स्वाध्याय संघ के प्रणेता परम पूज्य श्री पन्नालाल जी म सा की जन्म जयंती है।
( 1 ) पूज्य आचार्य सम्राट श्री हुक्मीचंदजी म सा महान त्यागी वैरागी ज्ञानी ध्यानी संत थे जो कि एका भव अवतारी थे पुज्य श्री एक बार राजस्थान के नाथद्वारा में प्रवचन सुना रहे थे तब आसमान से रुपयों की बारिश हुई थी।
( 2 ) परम पूज्य आचार्य श्री धर्मदासजी म सा ने अपने शिष्य को कायर जानकर के धार शहर में स्वयं संथारे के आसन पर बैठ गये थे जिन शासन की आन बान शान की रक्षा के लिये अपने आपको न्योछावर कर दिया था।
( 3 ) पुज्य श्री नेतसिंहजी म सा ने सेलाने ( मध्य प्रदेश ) के जंगल में मंगल कर दिया था महुआ के वॄक्ष के नीचे संथारा कर लिया था आपके सेवा में देवता आते थे और जब तक सैलाने संघ वहां नहीं पहुंचा तब तक सिंह के रूप में आपके शरीर की रक्षा करते रहे आज भी महुआके वृक्ष को नेतसिंहजी म सा के नाम से जाना जाता है।
( 4 ) रतनचंदजी म सा जावरा में पधारे थे तब वहां पर रात में जो श्रावक सामयिक करने के लिये आते 2-3 बजे वे आने बंद हो गये तब रतनचंद जी म सा ने पूछा श्रावक जी रात्रि को सामयिक करते थे अब नहीं करते क्या तब श्रावक बोले म सा रात में कैसे आवे यहां तो शेर का पहरा रहता है तब रात में म सा दरवाजे के बाहर आये और पूछा आप कौन हैं यहां तुम्हारा क्या काम है देव हम आपकी सेवा करने के लिये आते हैं आपकी कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी वजह से धर्म ध्यान में कमी पड़ रही है।
( 5 ) मेवाड़ी मानमुनिजी म सा ने भेरुजी को प्रत्यक्ष में बुलाया था भेरूजी के मंदिर में तब से उस मंदिर के पुजारी जैन धर्म को मान रहे है।
( 6 ) स्वामीजी श्री रोडजी म सा ने उदयपुर में अभिग्रह लिया था कि हाथी बहराये तो आहार लेना वृषभ ( साण्ड ) बेहराये तो आहार लेना।
( 7 ) जोधपुर की असोप हवेली में पूज्य श्री अमर सिंहजी म सा पधारे थे देवगण शास्त्र श्रवण करने के लिये रात्रि में आते थे एक रात्रि में पाटे का पाया निकाल कर उससे खेल रहे थे तब म सा ने कहां श्रावकों को क्या जवाब दूंगा पाया निकाल दिया देवगण माफी मांगते हुवे पुनः पाया लगा दिया था।
( 8 ) अहमदाबाद में धर्मसिंहजी म सा दरगा में जा करके रहे दरगा का जिन्द ( यक्ष ) वहां रहने वालो को जिंदा नही छोड़ता था आपके वहाँ रहने से जींद प्रसन हो करके नतमस्तक हो गया तभी दरगा में रहने से दरिया पूरी सम्प्रदाय का नाम करण हो गया।
(9) अम्बाले में लालचंदजी म सा का दाह संस्कार हुआ तब मुहपति चादर चोल पट्टा नही जला वह अभी भी अम्बाला के भंडार में है ऐसे एक नहीं अनेक संतों की बीती बातें हैं संक्षेप यहां उल्लेख किया है आज स्वाध्याय संघ के प्रणेता परम पूज्य श्री पन्नालालजी म सा का जन्मदिन है आप विक्रम संवत 1945 में बालू राम जी तुलसा बाई माली के यहां जन्मे राजस्थान में जोधपुर राज्य में नागौर जिले के डेगाना के पास छोटा सा गांव कितलसर में हुआ था पुज्य श्री मोतीलालजी म सा के पास आनंदपुर कालू में विक्रम संवत 1957 में दीक्षा हुई पन्नालालजी म सा और अंतिम समय में कितलसर में विक्रम 2024 को संथारा के साथ देवलोक गमन हुआ था हम श्रद्धा से नमन वंदन करते हैं।