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ज्ञान वाणी

विनय गुण में जीवन के संपूर्ण शिष्टाचार का समावेश:कपिल मुनि

विनय गुण में जीवन के संपूर्ण शिष्टाचार का समावेश:कपिल मुनि

 

चेन्नई. गोपालपुरम स्थित भगवान महावीर वाटिका  में विराजित कपिल ने कहा प्रभु वीर की अंतिम वाणी जीवन को दिव्यता और भव्यता का वरदान देने वाली है ।क हमारे जीवन का समुचित मार्गदर्शन करने वाले उन शिक्षा सूत्रों इसमें संकलन है जिसके श्रवण और आचरण से  जीवन में सौभाग्य का निर्माण किया जा सता है ।इस वाणी को सुनने की ललक का जन्म  जीव के भव्यत्व की निशानी है । जीवन निर्माण के इन सूत्रों को श्रवण करने का ला भभी उन्हीं को मिल पाता है जिसने अपने जीवन में पुण्य किया हो। भगवान की वाणी से जुडऩे वाला कदम कदम पर पाप से सशंकित और भयभीत होता है। ल  अभिमान है। अभिमान से प्रेरित प्रत्येक कार्य पाप बन जाता है। जीवनमें सबसे बड़ा गति अवरोधक है अहंकार। जिसके आने से जीपाप का मूवन में  कठोरता, स्वार्थपरता, क्रुरता आदि अनेक बुराइयों को पनपने का मौका मिल जाता है । जीवन के उत्थान के लिए अपने ह्रदय को अहंकार से मुक्त करना बेहद जरूरी है। लेताजब तक मन अहंकार से ग्रसित है तब तक परिवार, समाज में शांति का माहौल निर्मित करने की कल्पना निराधार है। जहां संयोग है वहां वियोग है। संयोग से चिपककर तादात्म्य बना लेना अज्ञानता की निशानी है । विवेक का तकाजा यही है कि जिसे कुदरत छुड़ाये उसे स्वेच्छा से स्व विवेक के आधार पर परमार्थ के पथ पर अर्पण करके त्याग वीर, दानवीर बना जाये। जो मिलन में बिछुडऩा और सुख में दु:ख का दर्शन कर  है वही जीवन के सत्य को पा लेता है। तन, धन, परिजन महज एक संयोग है। हमें इस संसार में सबसे हिल मिल कर जीवन यात्रा को तय करना चाहिए। जीवन में समय, शक्ति, संपत्ति और सामर्थ्य की प्राप्ति पुण्य की प्रबलता से ही नसीब होती है। इस संसार ने ऐसी एक भी चीज नहीं है जिस पर घमण्ड किया जाए। विनय शब्द में जीवन के संपूर्ण शिष्टाचार का समावेश होता है। विनय एक ऐसा सगुुण रूपी आभूषण है जिसको धारण करने से व्यक्तित्व में चमक और आकर्षण का जन्म होता है । विनय गुण से विभूषित व्यक्ति जन जन के आदर सम्मान पात्र बन जाता है। एक आदरणीय और प्रशंसनीय जीवन जीने के कारण मन में शांति और समता का वास होता है । उसकी हर वृत्ति , प्रवृत्ति में  सरलता और सहजता का दर्शन होता है । जिसका परिणाम भी अति सुंदर होता है। जीवन में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की गिरावट सबसे बड़ा नुकसान है जिसकी भरपाई करना बेहद मुश्किल काम होगा। विनय धर्म का सच्चा साधक वही है जो अहंकार, आग्रह और आवेश को शांत करने की दिशा में निरंतर अग्रसर है। संचालन संघ मंत्री राजकुमार कोठारी  ने किया ।

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