प्रवचन
कोयम्बत्तूर. आचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने रविवार को कहा कि युवावस्था विद्युत के समान है। युवावस्था की शक्ति जिस कार्य से जुड़ती है उसके अनुसार जीवन का उत्थान या पतन होता है।
इससे पहले सुबह सुपाश्र्वनाथ जैन मंदिर में आचार्य और प्रतिमा के प्रवेश के बाद स्नात्र महोत्सव का आयोजन हुआ। इसके बाद धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा कि जीवन की तीन अवस्थाओं में बचपन और वृद्धावस्था शक्तिहीन है जबकि युवावस्था शक्तिशाली है।
बचपन की सुरक्षा मां, वृद्धावस्था की सुरक्षा परमात्मा तथा युवावस्था की सुरक्षा गुरू मां के अधीन है। युवावस्था विद्युत के समान है, इसे जिस यंत्र के साथ जोड़ा जाए वह उसी शक्ति से कार्य करते हैं। इसी प्रकार युवा भी उसी अनुसार कार्य करते हैं।
उन्होंने कहा कि अपराध करने वालों ने भी तीर्थंकर के बताए धर्म मार्ग पर चल कर आत्मा का कल्याण किया। परमात्मा के सिद्धांत आमजन तक पहुंचे इसके लिए अनेक साधु, संतों और आचार्यों ने प्राणों का बलिदान देकर धर्म की रक्षा की।
इन सेवा कार्यों की विरासत आज भी युवा पीढ़ी को प्राप्त है। कार्यक्रम के दौरान मैसूरु के फुटमरल व राजेश मांडोत का संघ ने सम्मान किया। सोमवार को सुबह 9.15 बजे महावीर स्वामी च्यवन कल्याणक भावयात्रा कार्यक्रम होगा। १० जुलाई को आचार्य का बहुफणा पाश्र्वनाथ जैन संघ में चातुर्मासिक प्रवेश होगा।