चेन्नई. कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में विराजित आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा विचारों के विकारों के साथ आनंद यात्रा संभव नहीं है। विचारों को रोका नहीं जा सकता, बदला जा सकता है।
व्यक्ति बिना भोजन के रह सकता है लेकिन बिना विचार के नहीं। मन विचार की गति मोबाइल, टीवी की रेंज से भी ज्यादा तेज होती है।
उन्होंने कहा पांच इन्द्रियों के विषयों के माध्यम से व्यक्ति ने मन को विकृत बना रखा है। मन का दरवाजा हर समय खुला रहता है। इसलिए हर पल कचरा भरता जा रहा है जिससे मन में गलत विचार जल्दी आते हैं।
यह अच्छी बात नहीं है। अच्छी बातें और ध्यान, ज्ञान सीखने पड़ता है। पशु-पक्षी पेट भरने के लिए जी रहे हैं जबकि मानव संसार का मालिक बनने के लिए जी रहा है। इन्द्रिय विषयों के लिए सोच विकृत हो गई है।