Share This Post

ज्ञान वाणी

वाणी का उपयोग कैसे करना है इस पर चिंतन करना चाहिए: साध्वी कुमुदलता

वाणी का उपयोग कैसे करना है इस पर चिंतन करना चाहिए: साध्वी कुमुदलता
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता ने हमें अपनी वाणी का उपयोग कैसे करना है इस पर चिंतन करना चाहिए। वाणी हमेशा मधुर होनी चाहिए। कोयल भले ही काली हो लेकिन उसे वाणी का सौंदर्य प्राप्त है इसीलिए वह सबको प्यारी लगती है।
वाणी का सौंदर्य संसार का सबसे बड़ा सौंदर्य है। हमें बोलने पर संयम बरतना चाहिए। ऐसे शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए जिसे सुनकर किसी को ठेस पहुंचे बल्कि ऐसी वाणी बोलनी चाहिए कि सुनने वाला प्रसन्न हो जाए।
शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा जीवन पथ पर आगे बढने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। शिक्षक ही हमारा मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने अतिथि संविभाग व्रत की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता का रूप माना जाता है।
भगवान महावीर ने दान देने का सुंंदर वर्णन किया है कि दान हमेशा शुद्ध भाव से देना चाहिए। चंदनबाला का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आपके द्वार पर कोई संत, महात्मा आते हैं तो शुद्ध और निर्मल भावना से दान दें।
साध्वी महाप्रज्ञा ने वाणी के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि वाणी मानव जीवन का सबसे बड़ा चमत्कार है। जीभ तो पश्ुाओं की भी होती है लेकिन वे बोलकर अपनी भावना व्यक्त नहीं कर सकते।
गुरुवार से शुरू हो रहे पर्वाधिराज पयुर्षण पर्व के दौरान कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। गुरुवार को अंतगढ सूत्र का वांचन व नकार मंत्र का जाप होगा।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar