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रिश्ते तय करने की प्रक्रिया में बदलाव की जरुरत: प्रफुल पारख

रिश्ते तय करने की प्रक्रिया में बदलाव की जरुरत: प्रफुल पारख

बीजेएस व आरएसके के संयुक्त तत्वावधान में विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए परिचय सम्मेलन का अभिनव कार्यक्रम 

बेंगलूरु। भारतीय जैन संघटना (बीजेएस) एवं राजस्थान संघ कर्नाटका (आरएसके) के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को यहां के बीबीयूएल सीबी भंडारी जैन गल्र्स काॅलेज में जैन समाज के विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए परिचय सम्मेलन का अभिनव कार्यक्रम ऐतिहासिक रुप से एवं सफलता के साथ आयोजित किया गया। इस अवसर पर बीजेएस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रफुल पारख ने बतौर मुख्य वक्ता अपने संबोधन से सैकड़ों की तादात में उपस्थितजनों को प्रभावित किया।
पारख के साथ राजस्थान संघ के फाउण्डर चेयरमैन रमेश मेहता, अध्यक्ष रतनीबाई मेहता, बीजेएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ओमप्रकाश लूणावत, प्रदेशाध्यक्ष दिनेश पालरेचा (होसपेट) व अन्य पदाधिकारियों के करकमलों से दीप प्रज्वलन के साथ शुरु हुए कार्यक्रम में पंजीकृत हुए 93 युवकों व 41 युवतियों ने अपने-अपने अभिभावकों के साथ भाग लिया। जीवनसाथी चुनने के बेंगलूरु में अपनी तरह के पहली बार आयोजित हुए इस आयोजन में पारख ने कहा कि आज के जमाने में अपेक्षाएं बदल गई हैं, यह अपेक्षाएं शिक्षित हुए युवक-युवतियों की हैं।
उन्होंने कहा कि वैवाहिक मिलान के लिए ट्रेडिशनल प्रोसेस एक तरह से बीते जमाने की बात हो गया है जब बुजुर्ग अपने ही हिसाब से जुबान पर रिश्ते तय कर दिया करते थे। पारख ने कहा कि वर्तमान दौर में युवक-युवतियों के साथ-साथ अभिभावकों की सोच एवं समझ को विकसित करने की बहुत जरुरत है। बदलते युग के मुताबिक सोच को बदलने की सीख दी। प्रफुल पारख ने परिचय सम्मेलन के माध्यम से एक एजुकेशनल वर्कशाॅप आयोजित की, जिसमें बाकायदा छह प्रकार के प्रयोग किए हुए अध्ययन को विडियो-प्रजेंटैशन सत्र एवं प्रेक्टिकली सवाल-जवाब के माध्यम से तथा मंच पर प्रतिभागियों को बुलाकर बेहद मनोरंजक तरीके से बतलाया।
अनेक प्रसंगों एवं उदाहरणों के द्वारा विशिष्ट और रोचक अंदाज में आयोजन को संचालित करते हुए प्रफुल पारख ने कहा कि लोग खूब संपन्न हैं, सामाजिक तथा आर्थिक रुप से रुतबा भी है, मगर शादी करते वक्त दोनों ही परिवार के लोग लड़के-लड़की के मानसिक तालमेल को संयोजित नहीं कर पाते हैं, ऐसे में जरा सी अनबन अथवा तालमेल के बिगड़ते ही दो परिवारों के संबंध चंद पलों में टूट जाते हैं। पारख ने कहा कि कहा जाता रहा है कि रिश्ते सात जन्मों के बंधन होते हैं, मगर यह भी बात गुजरे जमाने की हो गई है।
क्योंकि जिस प्रकार की हवा अथवा वातावरण आज के परिदृष्य में है उससे हमारे रिश्ते एक जन्म भी नहीं निभ पा रहे है। उन्होंने कहा कि रिश्ते टूटने की बाढ़ नासमझी की वजह से आ रही है। इसके लिए शादी के वक्त जो सात वचन लिए जाते हैं वे तो लगभग गौण ही हो गए हैं, लेकिन उसी प्रकार हमने बहुत रिसर्च के बाद सात पाॅइन्ट्स बनाए हैं, इनका अनुसरण निश्चित ही सकारात्मक परिणाम दिखला रहा है।
उन्होंने कहा कि बीजेएस के मार्गदर्शक शांतिलाल मूथा के निर्देशन में बीते 30 वर्षों से अनेक सामाजिक सरोकारों के कार्याें के साथ मेट्रिमोनियल पर विशेष कार्य हो रहा है। इसी कड़ी में उन्होंने बेंगलूरु के बीजेएस रीजन व राजस्थान संघ की टीम की मेहनत को सराहते हुए कहा कि निश्चित ही अंतराज्यीय स्तर का यह आयोजन आने वाले समय में नया अध्याय लिखेगा।
कार्यक्रम में सभी का स्वागत बीजेएस रीजन प्रेसिडेंट विनोद पोरवाल ने किया। राजस्थान संघ की अध्यक्ष श्रीमती रतनीबाई मेहता ने भी विचार रखे। सुरेश धोका ने संचालन किया। सुरेश धोका ने बताया कि बेंगलूरु सहित कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना व आंध्रप्रदेश से पंजीकृत हुए प्रतिभागियों ने इस आयोजन का सफल बनाने में योगदान दिया।
इस अवसर पर बीजेएस के प्रदेश सहमंत्री उत्तमचंद बांठिया, मेट्रिमोनियल प्रोजेक्ट चेयरमैन पारस श्रीश्रीमाल, समन्वयक कमलेश भंडारी, आरएसके सचिव कमल पूनमिया, पूर्व अध्यक्ष अशोक चोपड़ा, बीजेएस की रीजन वाइस पे्रसिडेंट मधु तातेड़, बबीता श्रीश्रीमाल, देवेंद्र तातेड़, दीपक धोका, अशोक बंबोली, कैलाश संकलेचा, गौतमचंद धारीवाल, अर्चना जैन, महेंद्र सोलंकी, आशीष बाफना, संदीप सोलंकी, पुष्पा लूंकड़, प्रकाश गुलेच्छा, जितेंद्र कवाड़, भरत गोटावत सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।  कार्यक्रम में सभी का आभार उत्तमचंद बांठिया ने जताया।

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