Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

रात्री भोजन त्याग कई शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं का समाधान

रात्री भोजन त्याग कई शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं का समाधान

नागदा (निप्र)– महावीर भवन में महासति दिव्यज्योतिजी म.सा. ने कहा कि मानव को प्रकृति के अनुसार चलना चाहिये। जब तक सूर्य की किरणे पृथ्वी पर गिरती रहती है तब तक सूर्य रहता है और तब तक हमारा नाभी का कमल खिला रहता है। जो हमारे पाचनतंत्र को मजबुती प्रदान करता है एवं खाया हुआ पूर्णरूपेण डायजेस्ट होकर हमको शारीरिक एवं मानसिक रूप से निरोगी काया प्रदान करता है। सूर्यास्त के बाद सूर्य की सप्त किरणे 7 तरह के विभिन्न किरणो को पृथ्वी को नहीं मिलने से पृथ्वी पर अरबो-खरबो की संख्या में जीवाणु, विषाणु, किटाणु, बैक्टेरीया, वायरस पैदा होना चालु हो जाते है एवं ये चारो तरफ फैलकर हमारे अनजाने में हमारे भोजन के साथ शरीर के अन्दर पहुंचकर खतरनाक एवं जहरीले हमको कई साध्य एवं असाध्य बिमारियों का कारण बन सकते है।

भोजन एवं शयन के बीच कम से कम 4 घण्टे का अन्तर अवश्य होना चाहिये जिससे हमारे भोजन का अच्छे से पाचन होकर पेट उदर संबंधी समस्याओं का समाधान होकर प्रापर मात्रा में ब्लड एवं आक्सीजन शरीर को प्राप्त होता है एवं प्रातः सूर्योदय होते ही सूर्य की प्रकण्ड किरणो से विषाणुओं का खात्मा हो जाता है। अतः हमको रात्री भोजन का त्याग करना चाहिये।

 मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि पूज्य महासति तप तपेश्वरी के 28 उपवास की कठिन तपस्या चल रही है। मनोरमा मारू के 6 उपवास है। जाप की प्रभावना के लाभार्थी सीमा चन्द्रप्रकाश कांठेड़ एवं रखबचन्दजी सुनीलजी पितलीया रहे। संचालन सतीश जैन सांवेरवाला ने किया एवं आभार प्रकाशचन्द्र जैन लुणावत ने माना।

चौबीसी मंगलगीत का आयोजन-महासती के मासखमण की तपस्या के अनुमोदनार्थ महावीर भवन में चौबीसी मांगलीक का गीत का आयोजन की धार्मिक प्रभावना का लाभ सुशील कुमार सचीन कुमार कोलन ने लिया।

दिनांक 29/09/2022

 मीडिया प्रभारी

  महेन्द्र कांठेड

  नितिन बुडावनवाला

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar