बेंगलुरु। श्री वासुपूज्यस्वामी जैन धार्मिक पाठशाला के रजतोत्सव के उपलक्ष में यहां अक्कीपेट जैन मंदिर के प्रांगण में आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में पाठशाला के विद्यार्थियों द्वारा भव्य स्नात्र महापूजा का आयोजन हुआ।
पंडितवर्य मीठालालजी एवं संगीत मंडल ने संगीत के माध्यम से श्रद्धालुओं को परमात्मा भक्ति करवाई। आचार्यश्री ने पूजन में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमे पूजा सांसारिक सुखों की प्राप्ति की वांच्छा से नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे निदान दोष लगता है। हमें आपनी आत्म के कल्याण के भाव जैसे मेरे कर्म कट जाए, मैं मोक्षमार्ग पर चल सकूं इतनी शक्ति प्राप्त हो, आदि से पूजा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सांसारिक सुख तो बोनस के रूप में स्वयं ही मिलते है। ऐसा करने से आत्म कल्याण होगा और सांसारिक सुख भी बिना मांगे मिलेंगे। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन में सारी कहानी सिर्फ और सिर्फ व्यक्ति के भावों की होती है।
भगवान् किसी का अच्छा बुरा नहीं करते, जो भी करते है हम स्वयं करते है। पाठशाला के अध्यापक मीठालालजी ने बताया कि रविवार को खेतेश्वर भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा।
संध्या काल में पाठशाला के भूतपूर्व विद्यार्थियों द्वारा अक्कीपेट जैन मंदिर में महापूजा का आयोजन होगा, जिसमें जैन धर्म के महापुरुषों का जीवनी बतलाई जाएगी।