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युवा हमारे देश की अमूल्य धरोहर: साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी

युवा हमारे देश की अमूल्य धरोहर: साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी

अभिनेत्री तारा, मेघनी गरुड़ाचार व मासक्षमण तपस्वी पूजा मेहता का किया सम्मान

बेंगलूरु। नौजवानों के लिए यह समय सोने का-कुछ भी खोने का नहीं, वक्त की नजरें टीकी हैं तुम पर कोई काम ऐसा नहीं, जो तुमसे होने का नहीं..। कुछ इन पंक्तियों के साथ शुक्रवार को जैन दिवाकरीय साध्वीश्री, शासनसिंहनी डाॅ.कुमुदलताजी ने कहा कि हमारे नौजवान-युवा समाज व राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी ही नहीं अमूल्य धरोहर है।
युवा पीढ़ी भटक गई तो देश भटक जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी देश का भविष्य उसके अपने युवाओं पर निर्भर होता है। साध्वीश्री ने जोर देकर कहा कि बच्चों का सही तरीके से पोषण होगा तभी वे एक जिम्मेदार युवा बन सकेंगे। वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में पर्वाधिराज पर्व पर्युषण के चौथे दिन ‘एक कदम यौवन की दहलीज पर’ विषयक प्रवचन में साध्वीश्री ने कहा कि युवा शब्द जीवंतता, आनंद, उत्साह और जुनून के साथ जुड़ा हुआ है।
इसका कारण यह है कि युवा पीढ़ी के लोग जोश से भरे हुए होते हैं। वे नई चीजें जानने के लिए उत्सुक रहते हैं और दुनिया में नई खोजों का पता लगाने के लिए तैयार रहते हैं। अनेक प्रसंगों व उदाहरणों के साथ डाॅ.कुमुदलताजी ने समिति के युवाओं की टीम का उत्साहवर्द्धन एवं उनकी नियमित रुप से सेवा कार्यों की अनुमोदना करते हुए उन्हें उच्च उर्जा से परिपूर्ण बताया।
साध्वीश्री ने कहा कि वोट का अधिकार पा लेना या विवाह योग्य बन जाना ही नौजवान की पहचान नहीं है, बल्कि संस्कारित शिक्षा के साथ व्यसनमुक्त रहते हुए अपने हुनर को साबित कर जीवन में सफलता को प्राप्त करना लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने गजसुखमाल व स्थूलीभद्र के विविध प्रसंगों का भी प्रवचन के दौरान उल्लेख किया।
डाॅ.कुमुदलताजी ने कहा कि व्यक्ति के मन का मापने अथवा स्थिर रखने तथा आत्मा को बांधने का काम पर्वाधिराज पर्युषण करता है। श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह को जिनशासन की अनूठी प्रभावना करने का संकल्प दिलाते हुए साध्वीश्री ने यह भी कहा कि धर्म के कार्य में आडंबर ऐसा होना चाहिए जिससे पाप न लगे। इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने अनेक भजनों की प्रस्तुतियां दी।
साथ ही अपने सद्विचारों में कहा कि आयुष्य पुनवानी से भरपूर व्यक्ति ही सत्संगी हेाता है। व्यक्ति को उत्सवप्रिय बताते हुए साध्वीश्री ने कहा कि हर दिन जीवन में नयापन आवश्यक है। महाप्रज्ञाजी ने कहा कि साधना-आराधना का सबसे उपयुक्त समय पर्युषण पर्व ही है, इसलिए इस समय का सदुपयोग करना चाहिए। साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने अंतगढ़ एवं कल्पसूत्र का वाचन किया।
उन्होंने कहा कि जीवन को सफल और सार्थक करने के लिए यदि परमात्मा को समय देंगे तो परमात्मा आपके लिए कभी गलत समय नहीं आने देगा। साध्वीश्री राजकीर्तिजी ने गीतिका प्रस्तुत की। समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने बताया कि मासक्षमण की तपस्या करने वाली श्राविका पूजा मेहता का समिति पदाधिकारियों द्वारा सम्मान किया गया। विभिन्न प्रकार की तपस्याएं करने वाले तपस्वीवृंद को साध्वीवृंद द्वारा पच्चखान कराए गए।
चेतन दरड़ा ने बताया कि धर्मसभा में कन्नड़ फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री एवं एमएलसी तारा व गरुड़ा फाउण्डेशन की चेयरपर्सन मेघनी उदय गरुड़ाचार ने साध्वीवृंद के समक्ष शीश नवाकर मांगलिक आशीर्वाद प्राप्त किया। समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि दोनों अतिथियों का सम्मान किया गया।
रांका ने बताया कि जयजिनेंद्र प्रतियोगिता के विजेताओं में क्रमशः स्वाति जैन, विनय जैन व शर्मिला गोठवान का पुरस्कृत किया गया। उन्होंने बताया कि शुक्रवार के पद्मावती एकासन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। अशोककुमार गादिया ने संचालन किया। सभी का आभार समिति के सहकोषाध्यक्ष रमेश सिसोदिया ने जताया।

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