चेन्नई. कोडम्बाक्कम-वडपलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा मनुष्य की मधुर वाणी उसे जीवन में हमेशा आगे निकालने का काम करती है। अगर किसी अनजान व्यक्ति से भी प्रेम से बोला जाए तो वो व्यक्ति भी अपना बन जाता है। लेकिन कड़वी वाणी से करीबी भी दूर हो जाते हैं।
वाणी के अंदर इतना सामर्थ होना चाहिए कि पराये को भी अपना बना सकें। परमात्मा ने इसी वाणी के अंदर बहुत गुण बतलाये हैं। संसार मे रहते हुए मनुष्य अपनी वाणी से बहुत कुछ कमा सकता है। उन्होंने कहा कि व्यापार में अगर मधुर वाणी का प्रयोग हो तो ग्राहक की तलाश नहीं करनी पड़ती, बल्कि व्यवहार से ही ग्राहक आ जाते हैं।
ऐसे वाणी का कभी भी प्रयोग नहीं करना चाहिए जिससे लोग गाली दें। उन्होंने कहा कि वाणी में अगर मिठास होगी तो जीवन में आगे बढऩे के लिए इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा,बल्कि अपने आप ही मार्ग बनने लगेंगे। अगर मनुष्य वाणी का दुरुपयोग करेगा तो कर्म बंध तो होगा ही साथ मे सब कुछ बिखर जाएगा। मनुष्य की कड़वी वाणी से रिश्ते नाते टूट जाते हैं।
कटु वाणी की वजह से ही महाभारत हुआ था। अगर मनुष्य दान भी दे रहा है तो भी वाणी में मिठास होनी चाहिए। कड़वी वाणी से दिया हुआ दान भी सफल नही होता है। उन्होंने कहा कि लोग अपने शब्दों से लोगों का दिल जीत सकते हैं।
शब्दों की ताकत सबसे अलग होती है। शब्द में मिठास का प्रयोग कर जीवन का उद्धार कर लेना चाहिए। जो इन मार्गो पर चलेंगे उनका जीवन ऊंचाइयों पर पहुंच जाएगा।