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ज्ञान वाणी

मानव जीवन का करें सदुपयोग: महाश्रमण

मानव जीवन का करें सदुपयोग: महाश्रमण

चित्तूर. जिले के लिंगापुरम गांव स्थित जेड.पी. हाईस्कूल परिसर मेंं उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्य ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि चौरासी लाख जीव योनियों में मानव जीवन सबसे दुर्लभ होता है। लम्बे काल तक आत्मा को मानव जीवन प्राप्त नहीं होता।

कर्मों के बन्धन और उनके विपाक के बाद अनेकानेक योनियों में भ्रमण के बाद तो मानव जीवन प्राप्त होता है। इसलिए आदमी को अति दुर्लभ इस मानव जीवन का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्य ने कहा कि यदि मानव जीवन को वृक्ष मान लिया जाए तो इस वृक्ष पर छह फल लगने चाहिए।

छह फल जिनेन्द्र के प्रति श्रद्धा-भक्ति, गुरु पर्युपासना, सत्वानुकंपा, सुपात्रदान, गुणानुराग और आगमवाणी का श्रवण होते हैं। अगर यह छह फल मानव जीवन रूपी वृक्ष में लगें तो मानव जीवन सफल, सुफल और सार्थक हो सकता है।प्रवचन के पश्चात लिंगापुरम के चेयरमेन रामचन्द्र नायडू ने आचार्य के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी।

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