चेन्नई. आलंदूर जैन स्थानक में विराजित श्रुतमुनि ने कहा व्यक्ति में चार बातों का होना जरूरी है-विनय, विवेक, ज्ञान व सदाचार। मानव को पहले विवेकवान बनना चाहिए, इसके बिना जीवन शून्य व अधूरा होता है यानी जीवन का कोई मूल्य नहीं होता।
उसका कहीं भी उसका सम्मान नहीं होता। उन्होंने गौतम स्वामी के आनंद आदि दस श्रावकों का विवेचन किया। उन्होंने बताया विनयवान व्यक्ति की सब जगह पूजा होती है। वह विवेक रखते हुए यह ध्यान रखता है कि किस समय क्या व कैसे बोलना है और किसके समक्ष और कितना बोलना है।
उन्होंने श्रावक के 21 गुणों व मार्गानुसारी के 21 बोलों की जानकारी दी। ज्ञान प्राप्ति भी विवेकवान व्यक्ति को शीघ्र प्राप्त होती है। वह स्वयं के साथ ही अपने साथ रहने वालों का भी कल्याण करने में लगा रहता है।
आगे चलकर सदाचार का जीवन जीते हुए मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर होता है। धर्मसभा में कोडम्बाक्कम-वडपलनी संघ के पदाधिकारियों ने वडपलनी आने की विनती रखी। गुरु ने विनती को स्वीकार करते हुए बुधवार को प्रवचन वडपलनी जैन स्थानक में करने की घोषणा की।