चेन्नई. न्यू वाशरमैनपेट जैन स्थानक में विराजित साध्वी साक्षीज्योति ने कहा सब चीजें पैसे से खरीदी जा सकती हैं लेकिन मां की भक्ति और पिता का प्रेम कहीं नहीं मिलता। मां-बाप की सेवा करने का मौका मिले तो अपना सौभाग्य समझें।
अपने जीवन का सौभाग्य समझना की मुझे माता-पिता की सेवा का मौका मिल रहा है। साध्वी ने कहा इंसान भी बड़ा अजीब है, वह अपने बच्चों को सब कुछ देना चाहता है और मां-बाप से सब कुछ लेना चाहता है। जो लोग अपने बूढ़े मां-बाप की बुढ़ापे की लाठी नहीं बन सकते वह संतान, संतान नहीं होती।
संतान भले एक ही लेकिन श्रमण कुमार जैसी हो। मां-बाप की सेवा अहोभाव से करनी चाहिए। जहां मां-बाप की सेवा भार मान कर की जाती है ऐसे पुत्र खुद अपने हाथों से दुर्भाग्य का द्वार खोल देते हैं।
इसलिए यह मानकर सेवा करनी चाहिए कि मां-बाप की सेवा करने का मौका बार-बार नहीं मिलता। यह मौका भाग्यशाली को ही मिल पाता है जो सेवा कर आशीर्वाद पा लेते हैं। इस आशीर्वाद से जीवन खुशहाल बन जाता है। गौतम मेहता ने संचालन किया।