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ज्ञान वाणी

मां- बाप का बनें सहारा: गौतममुनि

मां- बाप का बनें सहारा: गौतममुनि

चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा जो अपने जीवन में जिनवाणी को महत्व देते हैं वही जीवन को परमात्मा की वाणी से जोडऩे का प्रयास करते हैं। अनंत काल से इस संसार में जन्म मरण करते हो गया। अब भी अगर इससे छुटकारा पाने की भावना नहीं आई तो जीवन को जिनवाणी से नहीं जोड़ा जा सकता।

धर्म कार्यों में सहयोग देने वाला पुत्र अपने मां बाप के उपकारों से हल्का होने का कार्य करता है। जिन माता पिता ने बचपन में उंगली पकड़ कर मनुष्य को चलना सिखाया तो मौका मिलने पर उनका हाथ पकडऩे से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्हें धार्मिक कार्यों से जोडऩा हर पुत्र का कर्तव्य बनता है। उन्होंने कहा माता पिता का हर पग पर सहयोग करने वाला पुत्र लोगों की नजरों में उठता है। श्रवण कुमार ने ऐसे ही अपना नाम रोशन नहीं किया बल्कि उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने माता-पिता की सेवा में खपाया, तब लोग आज श्रवण कुमार को याद करते हैं। व्यवहार के अनुरूप चलने वाला मनुष्य अपने जीवन में अमृत घोलने का कार्य करता है।

उन्होंने कहा ऐसे उत्तम मानव जीवन को प्राप्त करके मनुष्य को मन, वचन और काया का अच्छा संचालन करने का प्रयास करना चाहिए। अगर मनुष्य चाहे तो अपने मन में दूसरों के प्रति अच्छे विचार प्रस्तुत कर पुण्य का कार्य कर सकता है।  सागरमुनि ने कहा आचरण व्यक्ति को ऊंचाई पर लेकर जाता है। पाप करने की वजह से आत्मा नरक की ओर बढ़ता है। यह सिर्फ लोभ की वजह से होता है। लोभ कर मनुष्य स्वयं ही नरक के मार्ग बनाता है लेकिन अच्छे कर्म कर मनुष्य अच्छे भव को प्राप्त कर सकता है।  धर्मसभा में संघ के अध्यक्ष आनन्दमल छल्लाणी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।

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