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ज्ञान वाणी

महावीर के उपदेशों का करें अनुसरण: गौतममुनि

महावीर के उपदेशों का करें अनुसरण: गौतममुनि

चेन्नई. राजेंद्र भवन पूलल में विराजित उपप्रर्वतक विनयमुनि और गौरममुनि के सानिध्य में रविवार को भगवान महावीर दीक्षा कल्याणक महोत्सव मनाया गया। इस मौके पर गौतममुनि ने कहा कि माता पिता का जिस पर आशीर्वाद होता है वह हमेशा आगे बढ़ते चला जाता है। महावीर ने अपने जीवन में कर्तव्य अदा करते हुए मानव के लिए सुंदर मार्ग गठित किया है।

इस मार्ग को अगर मनुष्य अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करता है तो सही मायने में उनका दीक्षा पर्व मनाना सार्थक बन जाएगा। माता पिता जब तक रहते है उनके भावों को समझते हुए उनकी सेवा करनी चाहिए। गुरुभगवंतो और लोगों के प्रति सहयोग करने वाले जीवन में आगे जाते है। उन्होंने कहा किसी पद पर नही होते हुए भी जो सेवा करता है वह मनुष्य आर्दशवान होता है। उन्होंने कहा मन में गुरु के प्रति आदर भाव रखने पर मन से उनकी सेवा होती है। जब वचन से उनके बताए मार्गो पर चलने का निर्णय लेते हैं तो वचन से सेवा होती है। मन, वचन और काया से गुरुभगवंतों की सेवा करने वालों का जीवन महान बन जाता है।

महावीर ने दीक्षा लेने से पहले अपने जीवन का व्यवहार ऐसा बनाया था कि लोग उनसे प्रेरणा लेते थे। महावीर के बताए मार्गो पर चल कर सच्चे मन से आगे बढऩे का प्रयास करना चाहिए। संजयमुनि ने मंगलाचरण और फुलमुनि ने गीतिका के माध्यम से भगवान महावीर के गुणगान गाए। सागरमुनि ने कहा भगवान महावीर ने जीवों पर अनंत उपकार किए है। उन्होंने दुनिया के मोहमाया को त्याग कर दीक्षा ले ली थी। मनुष्य अगर जीवन में आनंद मंगल चाहता है तो महावीर के पथ पर आगे बढऩा चाहिए।

इस मौके पर कांतिमुनि ने कहा संसार में कुछ अलग करने वालों के ही गुणगान होते है। महावीर ने खुद के साथ औरों को भी अगल मार्ग दिखाया था। आचार्य तीर्थभद्र सुरेश्वर ने कहा दुख के समय इधर-उधर जाने के बजाय महावीर के चरणों में जाना चाहिए। मनुष्य को संसार के सुखों का त्याग कर दीक्षा ग्रहण करने की भावना रखनी चाहिए। विनयमुनि ने कहा महावीर का इस जगत पर अनंत अनंत उपकार है।

उनकी अमृतवाणी ही संत प्रवचन में फरमाते हैं। इस अवसर पर उत्तमचंद नाहर, राजेश लुकड़, मंगलचंद खारीवाल और गौतम नाहटा ने भी अपने विचार रखे। इस मौके पर पदम सिंघवी, गौतमचंद दुगड़, पंकज कोठारी, कमल कोठारी, इंदरचंद मुणोत, महावीरचंद सुराणा, महावीरचंद बम्ब, विजयराज दुगड, पृथ्वीराज नाहर, सुभाष श्रीश्रीमाल, रीकबचंद्र नाहर और महावीरचंद लुणावत सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। उगम चत्तर, पारस कोठारी, इंदर कोठारी और नवरत्न कुकुलोल का सहयोग सराहनीय रहा। विशेष सेवा के लिए रीकबचंद बम्ब का पीह संघ की तरफ से सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रवीण नाहर ने किया।

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