दो आचार्यों की जन्म जयन्ती मनाई
चेन्नई. विरुगम्बाक्कम स्थित एमएपी भवन में विराजित कपिल मुनि के सानिध्य व एसएस जैन संघ के तत्वावधान में बुधवार को आचार्य जयमल का 311वां एवं आचार्य आत्माराम का 137वां जन्मोत्सव जप-तप की आराधना व सामूहिक सामायिक साधना के साथ मनाया गया।
इस मौके पर कपिल मुनि ने आचार्यद्वय के गुण उत्कीर्तन करते हुए कहा महापुरुषों का जीवन चरित्र हमारे जीवन निर्माण में अहम् भूमिका निभाता है। उनके स्मरण से जीवन में गुण सम्पदा का विस्तार होता है। आचार्य जयमल अठारहवीं सदी में जैन धर्म के महा प्रभावक और सर्वाधिक तेजस्वी आचार्य थे ।
उनकी प्रेरणा से तत्कालीन अनेक राजा महाराजाओं ने मांसाहार का त्याग कर अहिंसा व्रत अपनाया।
उन्होंने सोलह वर्ष तक एकान्तर तप की आराधना की और करीब 50 साल तक लेटकर नींद नहीं ली। उन्होंने ऐसी दृढ़ प्रतिज्ञा ली जिसकी कल्पना मात्र से हर कोई चकित हो जाता है। वे प्रत्येक क्षण का प्रयोग ध्यान और स्वाध्याय में करते रहे ।
मुनि ने कहा आचार्य आत्माराम का व्यक्तित्व अनेक विशेषताएं लिए हुए थ । वे जैनागम के विशेष ज्ञाता और प्रखर व्याख्याता थे। उनकी वाणी में एक ऐसा जादू था जो किसी भी पथ भ्रष्ट को सन्मार्ग पर लगा देता ।
सादडी सम्मलेन में जिनशासन के गौरवशाली श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण का उन्हें प्रथम आचार्य बनाया गया।
वे संयम साधना में सजग होकर ज्ञान, दर्शन और चारित्र में पुरुषार्थ करके आखिरी सांस तक वीर शासन की जाहोजलाली करते रहे। इस मौके पर महिला मंडल, पारसमल नाहर, मंगला जैन, प्रिया चुतर आदि ने गीतिका के माध्यम से गुणगान किया।
इस मौके पर प्रकाशचंद ललवानी, भीकमचंद लूंकड़, प्रकाशचंद गुलेच्छा, रतनलाल सिसोदिया, मीठालाल पगारिया, नेमीचंद लोढा, महावीरचंद सिसोदिया, चंद्रप्रकाश तालेड़ा, पदमचंद कांकरिया, सी. महावीरचंद भण्डारी, ललित कुमार कांठेड़ आदि समेत अनेक गणमान्य व्यक्तियों समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
संचालन संघमंत्री महावीरचंद पगारिया ने किया। इस मौके पर सहयोगी संदीप-आशीष पगारिया परिवार का संघ द्वारा सम्मान किया गया । कार्यक्रम में संघ के पदाधिकारियों, जैन यूथ क्लब, महिला मंडल का सहयोग रहा।