पलियक्करा, त्रिशूर (केरल): सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति जैसी जनकल्याणकारी संदेशों के साथ गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी के संदेशों का व्यापक असर सोमवार को देखने को मिला जब आचार्यश्री की पावन सन्निधि में डाॅन बोस्को काॅलेज परिवार द्वारा सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन किया गया।
जहां आचार्यश्री का भव्य स्वागत तथा आचार्यश्री के मंगल आशीष से लाइब्रेरी के रिलीजियस बुक सेक्शन का उद्घाटन किया गया। आचार्यश्री ने मंगल उद्बोधन प्रदान किया एवं काॅलेज के लिए मंगलपाठ भी सुनाया। आचार्यश्री की मंगलवाणी से मानों सभी अभिभूत नजर आ रहे थे। पूरे माहौल को देखकर ऐसा लग रहा था मानों आचार्यश्री के प्रथम उद्देश्य सद्भावना के मूल्य केरल की धरती पर फलीभूत हो रहे थे।
सोमवार को प्रातः की मंगल बेला में आचार्यश्री ने मुल्लाकारा से मंगल प्रस्थान किया। डाॅन बोस्को काॅलेज प्रिंसिपल फादर राजू चकनद के अनुरोध पर आचार्यश्री कृपा करते हुए कुछ ही किलोमीटर पर स्थित डाॅन बोस्को काॅलेज में पधारे। जहां काॅलेज प्रबन्धन व शिक्षा से जुड़े लोगों के साथ विद्यार्थियों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनन्दन किया।
सर्वप्रथम कालेज के प्रिंसिपल फादर राजू चकनद, वाइस प्रिंसिपल फादर लिजो कलमबदन, मार अवगिन कुरियकोज, रिवेंज डाॅ. टोनी नीलनकविल आदि आचार्यप्रवर को काॅलेज परिसर के लाइब्रेरी में पहुंचे। जहां रिलीजियस बुक सेक्शन का शुभारम्भ आचार्यश्री के मंगलपाठ से किया गया। उसके उपरान्त आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में काॅलेज प्रबन्धन द्वारा सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन भी किया गया था।
इसमें इसाई धर्म की ओर से मार अवगिन कुरिअकोज, रिवेंज डाॅ. टोनी नीलनकोविल, सनातन धर्म की ओर से स्वामी शिवकांतनंद व मुस्लिम धर्म की ओर से ओनमपील्लै मोहम्मद फैजी भी उपस्थित थे। सर्वप्रथम काॅलेज की छात्राओं द्वारा पारंपरिक स्वागत गीत पर अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई। तत्पश्चात आचार्यश्री का परिचय प्रस्तुत किया गया।
इसके उपरान्त आचार्यश्री ने उपस्थित लोगों को जैन धर्म, साधुचर्या व अहिंसा यात्रा की अवगति प्रदान करते हुए सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का पावन संदेश भी दिया। आचार्यश्री के मंगल उद्बोधन का श्रवण कर वहां उपस्थित समस्त जन भावविभोर नजर आ रहे थे। काॅलेज प्रबन्धन के पुनः अनुरोध पर आचार्यश्री ने काॅलेज के लिए मंगलपाठ का उच्चारण किया।
तत्पश्चात आचार्यश्री वहां से गंतव्य की ओर प्रस्थित हुए। आज भी तेज धूप का प्रकोप बना हुआ था, किन्तु जनकल्याण को निकले आचार्यश्री ने धूप में चलन मंजूर किया। लगभग दस किलोमीटर का विहार कर आचार्य पलियक्करा में स्थित चेनकुलंगरा भद्रकाली मंदिर में पधारे।
यहां उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने साधना, संयम और तप द्वारा अपनी आत्मा को सच्चा मित्र बनाने की पावन प्रेरणा प्रदान की। मंदिर परिसर के ज्वाइंट सेक्रेट्री श्री बिज्जू ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी तथा आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।