चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा के सानिध्य में चल रहे नवग्रह शांति जाप के तहत शुक्रवार को शुक्र ग्रह शान्ति जाप किया गया। सिद्धिसुधा ने कहा कि जाप के बाद ज्ञान और ध्यान मुद्रा में एकाग्र हो जाना चाहिए। जितना मनुष्य मन, वचन और काया को स्थिर करेगा उसके जीवन मे जाप का असर होने लगेगा। जाप से जीवन निर्मल और शुद्ध बनता है।
सुविधिनाथ परमात्मा को अपने कंठ कमल पर स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। शान्ति जाप करते समय मन भटकने की कोशिश करेगा पर उस पर नियंत्रण करना होगा। जितना शांति और मन नियंत्रित कर जाप किया जाएगा उतना ही शांति आता जाएगा। जब उसकी ऊर्जा जीवन मे प्रवाहित होने लगेगी तो जीवन में शांति आने में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। इस दौरान मन मे किसी प्रकार का राग, द्वेष और क्रोध नहीं आने देना चाहिए। बल्कि सच्ची भक्ति से जाप में मन को लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य परमात्मा की भक्ति के समय उनके उपकारों को याद करे तो जाप में मन नहीं भटकेगा। साध्वी समिति ने कहा कि नदी और नाले दोनों एक स्वभाव बाले होते हैं। दोनों के किनारे पीहर और ससुराल जैसे होते है। दोनों अपनी मर्यादा में रह कर कार्य करते है। वैसे ही सोलह सतियों का जीवन था। सतियों ने नदी की तरह अपने पीहर और ससुराल दोनों की मर्यादा निभाई।
अपनी मर्यादा में रहकर जीवन को बदल दिया। जब मनुष्य मर्यादा में रह कर काम करता है तो निश्चय ही जीवन परिवर्तित हो जाता है। जीवन में आगे जाना है तो मर्यादा में रहना सीखना चाहिए। मर्यादित जीवन किसी को बोलने का मौका नहीं देती बल्कि सम्मान बढ़ाती है।
सम्मान के लिए मर्यादा में रहना बहुत जरूरी होता है।शनिवार को पितृअमावसया के उपलक्ष्य मे कालसर्प दोष निवारण अनुष्ठान का आयोजन पूरे दिन रहेगा रविवार से घर घर नवकार महामन्त्र जाप अराधना का शूभारम्भ सूरेश चंद महेश चंद सुरेन्द्र प्रदीप कोठारी निवास स्थान से होगा धर्म सभा मे अध्यक्ष आनंद मल छलाणी मंत्री मंगल चंद खारीवाल ,मदन खाबीया समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे ।