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मन को वश में करने के लिए ध्यान साधना जरुरी : डॉ. कुमुदलताजी म.सा.

मन को वश में करने के लिए ध्यान साधना जरुरी : डॉ. कुमुदलताजी म.सा.

बेंगलूरू। अनुष्ठान आराधिका साध्वी डॉ. श्री कुमुदलताजी म.सा. ने रविवार को कहा कि मन को वश में करने के लिए ध्यान साधना जरुरी है। परमात्मा प्रभु महावीर कहते हैं कि हमें धर्मध्यान अपनाना चाहिए। धर्म ध्यान की साधना ही वर्तमान में सर्वोत्कृष्ट मंगलकारी है।

वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में चातुर्मास कर रही डॉ. कुमुदलताजी ने यह भी कहा कि यदि तन-मन से स्वस्थ तंदुरुस्त रहना है तो भगवान महावीर की ध्यान साधना पद्धति अपना लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान श्रमण संघीय आचार्य सम्राट श्री शिवमुनिजी म.सा. प्रभु महावीर की जगत को ध्यान को ध्यान की अनमोल देन को जन-जन तक पहुंचाने में अपने भागीरथी प्रयासों को सतत् जारी रखते हुए निरंतर सभी स्थानों पर ध्यान साधना शिविरों का आयोजन कर रहे हैं।

साध्वी महाप्रज्ञाजी म.सा. ने भक्ति गीत से भाव विभोर कर दिया। साध्वी पदमकीर्तिजी म.सा. ने वर्षावास समिति के तत्वावधान में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। साध्वीश्री राजकीर्ति जी म.सा. ने कहा कि हम धर्म के सही स्वरुप को समझें। किसी का दिल नहीं दु:खाना भी धर्म का ही रुप है।

इस मौके पर राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ के सांसद सी.पी.जोशी, विधायक राकेश पारेख, विधायक अविनेश महर्षि ने सूरत के चातुर्मास के प्रमुख किरन रांका, मांगीलाल पोखरणा, कोमल बोलिया, राजेश टीलीवाल, 2017 के पूज्य साध्वीवृंद के वर्षावास के प्रमुख हैदराबाद से पधारे अनिल तातेड़, 2018 के वर्षावास के प्रमुख हस्तीमल खटोड़, सुभाष कोठारी, समाजसेवी हेमंत चौधरी, मेवाड़ मिरर पत्रिका के सुरेश जैन, तपस्वी आराधकों समेत विभिन्न क्षेत्रों से पधारे अतिथियों, श्रीसंघों के प्रमुख पदाधिकारीगणों का अतिथियों का समिति के चेयरमैन किरणचंद मरलेचा, पन्नालाल कोठारी, नथमल मूथा, गुलाबचंद पगारिया, महामंत्री चेतन दरड़ा, ज्ञानचंद मूथा, निर्मल चौरडिय़ा, महावीरचंद रुणवाल, अशोक रांका ने स्वागत किया।

आशाबाई बाफना ने 13 उपवास के पच्चक्खाण पूज्य साध्वीमंडल से ग्रहण किया। कार्यक्रम का संचालन वर्षावास समिति के महामंत्री चेतन प्रकाश दरड़ा ने किया। 

चित्तौडग़ढ़ सांसद जोशी ने किया रात्रिभोजन का त्याग
राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ से सांसद सी.पी.जोशी ने पूज्य साध्वीमंडल के गुरुभक्ति भाव प्रदर्शित करते हुए कहा कि पिछले दस वर्षों से पूज्य महासतीजी के पावन प्रेरणा से रात्रिभोजन का उन्होंने त्याग का संकल्प ले रखा है एवं प्रति संवत्सरी पर्व उपवास की तपस्या का नियम लिया जो अब भी उनके जीवन में गतिमान है। उन्होंने कहा कि साध्वीमंडल के दर्शन वंदन से इंसान के जन्मों-जन्मों के पाप, ताप और संताप दूर हो जाते हैं।

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