मदुरान्तकम, कांचीपुरम (तमिलनाडु): आवेश और गुस्सा आदमी की एक कमजोरी होती है। कुछ गलत होने पर आदमी को गुस्सा आ सकता है। आदमी के विचार के खिलाफ अथवा इच्छा के खिलाफ यदि कोई कार्य गतिविधि या व्यवस्था होती है तो आदमी को गुस्सा आ सकता है। गुस्सा मनुष्य का शत्रु होता है। आदमी को अपने आप को उपशांत बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपने व्यवहार को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। उक्त जीवनोपयोगी ज्ञानमय बातें जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता भगवान महावीर के प्रतिनिधि अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित लोगों को बताईं।
मंगलवार को प्रातः आचार्यश्री ने अपनी अहिंसा यात्रा के साथ बुदूर से प्रस्थान किया। आज भी विहार मार्ग के दोनों तरफ किसान खेतों में कार्य कर करते नजर आ रहे थे। उत्तर भारत में जहां अब धान की फसलें कट चुकी हैं और गेहूं के साथ दलहन तेलहन की खेती की जा रही है, वहीं तमिलनाडु में धान की खेती की जा रही है। कहीं रोपाई हो रही है तो कहीं धान के हाल में ही लगे धान के पौधों की सिंचाई का कार्य जारी है। अपने रास्ते से गुजरते राष्ट्रसंत के दर्शन को अपना कार्य छोड़कर किसान पहुंच रहे थे तो आचार्यश्री भी उनपर अपने दोनों करकमलों से आशीषवृष्टि कर उन्हें मानसिक अभिसिंचन प्रदान कर रहे थे। भले ही भाषाई विविधता का प्रभाव दिखाई दे रहा था किन्तु जहां भावों की अधिकता हो वहां शब्द की कोई खास गुंजाइश नहीं होती। शायद ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा था आचार्यश्री के प्रति ग्रामीणों के श्रद्धा समर्पण से। आचार्यश्री लगभग चैदह किलोमीटर का विहार कर मदुरान्तकम में पधारे तो अपने आराध्य को अपने नगर में पाकर मदुरान्तकमवासी अतिशय हर्षित नजर आ रहे थे।
लोगों को आशीष प्रदान करते आचार्यश्री नगर स्थित हिन्दु हायर सेकेण्ड्री स्कूल मैदान के प्रांगण में उपस्थित लोगों को आवेश और गुस्से का परित्याग कर खुद को शांत, उपशांत बनाने की पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि शांति रूपी जल गुस्से रूपी अग्नि को शांत कर सकती है। इसलिए आदमी को अपने गुस्से को नियंत्रित करके खुद को शांत, उपशांत बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। गुस्सा कहीं काम का नहीं होता। चाहे वह घर हो, व्यापार हो, समाज हो-सब जगह गुस्सा हानि पहुंचाने वाला होता है। आदमी को गुस्से से बचने का प्रयास करना चाहिए। मंगल प्रवचन के पश्चात आचार्यश्री ने लोगों को अहिंसा यात्रा के संकल्प भी स्वीकार कराए।
आचार्यश्री की प्रेरणा से आचार्यश्री के समक्ष उपस्थित तमिलवासियों ने मांसाहार खाने का त्याग स्वीकार किया। एस.एस. जैन संघ अध्यक्ष श्री स्वरूपचंद लोढ़ा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्थानीय जैन समाज की महिलाओं ने गीत का संगान कर अपने आराध्य के प्रति अपनी प्रणति अर्पित की। स्थानकवासी समाज से कवि मिट्ठू मिठास ने कवितापाठ कियां स्थानीय बच्चों ने अपने आराध्य के समक्ष अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।