एमकेबी नगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मप्रभा ने पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन कहा कि पर्यूषण शाश्वत भी है और अशाश्वत भी। भाव की दृष्टि से शाश्वत है और काल की दृष्टि से अशाश्वत है। सत्य दिवस रूप में मनाए गए इस दिवस पर कृष्ण चरित्र का वाचन करते हुए उन्होंने कहा वे महान कर्मयोगी भी थे और ध्यानयोगी भी।
उन्होंने लोकनीति और अध्यात्म का समन्वय किया। वे एक सफल राजनीतिज्ञ भी थे। नम्रता और विनय की पराकाष्ठा के दर्शन उन महान योगीश्वर के जीवन में होते हंै। समाज सुधारक, शांति दूत, ज्ञानेश्वर, अध्यात्म योगी,प्रेम की मूर्ति, उदारता जैसे कई गुणों के स्वामी थे। सााध्वी स्नेह प्रभा ने सत्य दिवस पर चर्चा करते हुए कहा कि भगवान सत्य है यह कहने के बदले ये कहना उचित होगा कि सत्य ही भगवान है।
मनुष्य के धर्म की जितनी भी क्रियाएं हैं उन सबका लक्ष्य सत्य ही है। हमारी आत्मा अनादि काल से असत्य के अंधकार में फंसकर दुखी और संतप्त हो रही है। जब तक आत्मा को सत्य की रोशनी का साक्षात्कार नहीं हो जाता तब तक संसार का भ्रमण छूटने वाला नहीं है। सत्य के बिना तो जीव का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता। सत्य से ही सूर्य तपता है और वायु बहती है। यह पृथ्वी सत्य के बल पर ही टिकी हुई है।