ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा विषय कषायों से हटकर वीतराग की ओर कदम बढ़ाने के लिए ज्ञानियों ने ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की साधना करने को कहा।
पैसा, परिवार, प्रतिष्ठा, पत्नी और पद इन पांचों संसार भटकाने वाले हैं इसलिए इनके प्रति अपना राग घटाएं। यदि हम प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान, पौषध, परोपकार व प्रभु स्मरण प्रति श्रद्धा रखें तो उद्धार हो जाएगा।
तप भारतीय संस्कृति का प्राण है। संसार को चलाने के लिए लक्ष्मी, व्यापार चलाने के लिए पूंजी, दीपक जलाने के लिए तेल की जरूरत होती है वैसे ही मोक्ष प्राप्ति के लिए तप आवश्यक है।
ज्ञान से जीवों के भाव समझे जा सकते हैं। दर्शन से भावनाएं समझी जा सकती हैं। चारित्र अशुभ भावों को रोकता है। तप से जीव कर्म निर्जरा करता है। उग्र तपस्या करने वाला शीघ्र मोक्ष में जाता है।