श्रीजी वाटिका में संगीतमय भक्ति जागरण में झूमे श्रद्धालु
आयोजन के लाभार्थी नाहर परिवार का हुआ बहुमान
इंदौर। ओ मैया जी मेरी जिंदगी को ऐसी सजा दीजिए.., किस्मत बुलंद रातों रात हो गई.., थोड़ा थोड़ा प्रभु का भजन कर लो-भक्ति का कोई जतन कर लो.., देर ना हो जाए कहीं देर ना हो जाए.., भर दो झोली मेरी भैरू बाबा लौटकर अब न जाऊंगा खाली..।
कुछ इसी प्रकार के अनेक झूमने-नाचने वाली संगीतमय भजनों की प्रस्तुतियां से भक्त और भगवान की भक्ति का आयोजन श्रीजी वाटिका में देर रात तक चला। अवसर था कृष्णगिरी शक्तिपीठाधिपति, विश्व संत डॉ वसंतविजयजी के 36 दिवसीय साधना-आराधना महोत्सव अवसर पर भजन संध्या का।
कार्यक्रम में संतश्रीजी के साथ संगीतकार दीपक करणपुरिया एंड पार्टी ने संचालन करते हुए अनेक प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर डॉ वसंतविजयजी ने मां पद्मावती के शुक्रवार व्रत कथा का भी संगीतमय वर्णन किया। उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए अपने संदेश में उन्होंने कहा कि भक्ति के नाम पर जागने वाले भक्तों पर परमात्मा प्रसन्न होकर कृपा अवश्य बरसाते हैं।
रात की भक्ति अर्थात जागरण तथा तपस्या की व्याख्या करते हुए संत श्री जी ने कहा कि कलयुग में भक्तों की भक्ति से देवकृपा मिल जाए तो व्यक्ति के जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रह सकती, जरूरत सच्ची श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास की है। वसंतविजयजी ने यह भी कहा कि मन की दरिद्रता को निकालने पर ही व्यक्ति बाहरी दुनिया में अमीर बन सकता है।
तन-मन से सदैव प्रसन्न रहने की सीख देते हुए संतश्रीजी ने कहा कि जब तक इंसान अपनी जीवनशैली को सही नहीं करेगा उसके द्वारा किया गया धर्म भी काम नहीं करेगा। जीवनशैली को सुधार कर ही धार्मिक अथवा धर्मवान बना जा सकता है।
इस अवसर पर आयोजन के लाभार्थी अरुणकुमार रितेश ऋषभ सौरभ नाहर परिवार के सदस्यों का संतश्री की निश्रा में माल्यार्पण कर, शॉल ओढ़ाकर एवं मेमेंटो भेंटकर सत्कार किया गया।
गुरुभक्त अरविंद बांठिया ने बताया कि इस अवसर पर सांसद शंकर लालवानी व पार्षद पारस पारख सहित शहर के विभिन्न उपनगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। राष्ट्रसंतश्रीजी ने इस अवसर पर दिव्य मांगलिक भी प्रदान की। सभी का आभार रितेश नाहर ने जताया।