चेन्नई. कुरुकपेट स्थित ओसवाल गार्डन में विराजित उपप्रवर्तक गौतम मुनि ने कहा कि जब मनुष्य का उत्कर्ष होना होता है तब अपने आप ही जीवन में भक्ति प्राप्त हो जाता है। लेकिन उस भक्ति को जीवन में आबाद करने के लिए लगन की जरूरत होगी है।
लगन से किया हुआ कार्य कभी भी असफल नहीं होता है। प्रेम प्रीति का भाव मनुष्य को अपने परिवार से शुरू करने की जरूरत है। क्योंकि जिस परिवार के साथ मनुष्य रहता है अगर उसके साथ प्रेम और प्रीति का भाव नहीं बना सकता तो परमात्मा के प्रति प्रीति बनाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा परमात्मा के प्रति अंर्तआत्मा से प्रीति रखने की जरूरत होती है। मनुष्य का कोई भी कार्य पूरा नहीं होगा अगर उसे प्रेम से ना किया जाए। उन्होंने कहा कि कठिन से कठित कार्य को अगर प्रेम से किया जाए तो उसे पूरा होने में समय नहीं लगता है।
धर्म के बिना जीवन में कुछ नहीं होता है। चाहे कितने ही भोग चढा लिए जाएं लेकिन जब तक अंतर से परमात्मा के प्रति पे्रम नहीं होगा तो भक्ति सार्थक नहीं हो सकता है। भक्ति ही भक्त को भगवान बनाने का कार्य करती है। जब मनुष्य दिल से भक्ति कर भक्त बनेगा तो वह भगवान भी बन सकता है। गुरुभगवंतों का सानिध्य जीवन में बदलाव करने के लिए मिलता है। ऐसे मौके में अपनी भक्ति दिखाकर जीवन में बदलाव करने का प्रयास कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य ने घर परिवार के प्रति प्रीति दिखाने में तो इतना जीवन लगा दिया अब परमात्मा के प्रति आगे आने की जरूरत है। परमात्मा का दिल से गुणगान कर जीवन में बदलाव कर लेना चाहिए।
आत्मगुणों के समन्वय के लिए एकता हमेशा बना रहना चाहिए। तभी जीवन में सफलता संभव हो पाएगा। तीर्थ सुंदर विजयमुनि ने भी उद्बोधन दिए। संजयमुनि ने मंगलाचरण दिया। इसी बीच गुरुभगवंत दोपहर में सज्जनराज पदमचंद सिंघवी के निवास स्थान पहुंचे और वहां पर स्रोत पाठ एवं धर्म पर चर्चा की। रविवार को गुरुभगवंत विहार कर पुरुषवाक्कम स्थित एमकेएम पहुंचेंगे और वहीं प्रवचन होगा।