विजयवाडा के राजेन्द्र भवन में आचार्य श्री जयन्तसेनसूरिजी के शिष्य मुनि श्री संयमरत्न विजयजी मुनि श्री भुवनरत्न विजय जी का धूमधाम से मंगल प्रवेश हुआ।मुनि श्री ने कहा कि आजकल लोगों जिंद गी में एक चीज ने जहर घोल दिया है,वह है एक-दूसरे के लिए बुरा बोलना।सामने से तो अच्छा बोलना सीख जाते हैं,पर पीठ पीछे लोग अच्छा नहीं बोल पाते।आजकल किसी की तारीफ सुनने से भी अधिक कमियां सुनने में ज्यादा मजा आता है।अच्छे से अच्छे इंसान के बारे में बुरी बातें सुनकर लोग जल्दी से यकीन कर लेते है।
किंतु आज के समय में कुछ अच्छा हो सकता है,इस पर लोगों को यकीन नहीं होता।जो इंसान आपके सामने दूसरों की बुराई करता है,वो आपके पीछे आपकी भी बुराई कर सकता है,क्योंकि वह उसका स्वभाव है।दूसरों के गुणों को वही देख सकता है,जो स्वयं गुणवान होता है।इंसान अपनी बातों से अपने चरित्र का ही दर्शन कराता है।कई बार लोग इर्ष्या से भी दूसरों की बुराई करते है।वह सोचता है कि हम उसकी तरह काम तो नहीं कर सकते,पर उसे गिरा सकते हैं। जो हमारी निंदा,चुगली करते हैं,उनके साथ कुछ करने की जरूरत नहीं, क्योंकि वे खुद के साथ ही गलत करते हैं।जो इंसान हर किसी की बुराई करता है,उस पर लोग विश्वास करना छोड़ देते हैं।
क्योंकि लोगों को भी समझ में आ जाता है कि इस इंसान का कोई भरोसा नहीं।ये कभी भी किसी के लिए कुछ भी कह सकता है।तीन कारणों से लोग आपकी बुराई आपके पीछे करते हैं।एक वो जो आपके लेवल तक पहुंच नहीं सकता।दूसरे वो जिनको वो नहीं मिला है,जो आपको मिला है।तीसरे वो जो आपकी कॉपी करना चाहते हैं,पर कर नहीं पाते।पर वास्तव में जो दूसरों के लिए बुरा सोचता है,उसकी जिंदगी में अच्छाई लौटकर आ ही नहीं सकती।दुर्जन आपके सामने आपकी तो प्रसंशा करेगा और दूसरों की बुराई, ताकि आप भी उसके बारे में कुछ बुरा बोलो।उसने सामने वाले व्यक्ति के लिए क्या कहा वह नहीं बताएगा,पर आपने उसके लिए क्या कहा,वह सब उसे बता देगा।
दूसरों की बुराई, चुगली, निंदा करने वालों के साथ गपशप नहीं लगाना चाहिए।क्योंकि उसके साथ हम थोड़ी सी भी बात करेंगे,तो उससे हमें ही नुकसान पहुंचेगा।क्योंकि लोगों को पता होता है कि ये इंसान कभी भी किसी का भला नहीं कर सकता।वही लोग दुनिया में महान बनते हैं,जो महान कार्य करते हैं।जो साधारण कार्य करता है,वह साधारण रह जाता है। जो खुद तो कुछ करना नहीं जानते,वे ही दूसरों को गिराने में लगे रहते हैं।जो दूसरों की बुराई करता है,धीरे धीरे वही अवगुण उस व्यक्ति के चरित्र में आने लगते हैं।
दूसरों के मुख से वही बात सुनना चाहिए जो अच्छी हो,वास्तविक हो और उसे सुनने से हमें फायदा हो।यदि हम हमारे कानों में कचरा डालते रहेंगे तो हमारा जीवन कचरा पेटी बन जाएगा।क्योंकि जो आपके भीतर जाएगा,वही आपके चरित्र में प्रकट होगा। जिंदगी में एक नियम होना चाहिए कि हम ना ही फालतू बात करेंगे और न ही सुनेंगे।इस अवसर पर मुमुक्षु प्रक्षाल मुथा का श्री संभवनाथ राजेन्द्रसूरि जैन संघ के लाभार्थी द्वारा बहुमान किया गया।