देवता देवलोक में रहकर भी मनुष्य भव को प्राप्त करने की अभिलाषा रखते हैं।
जबकि मावन को उसके मनुष्य होने का मूल्य ही पता नहीं है। परमात्मा के पास सब कुछ है लेकिन फिर भी वे मनुष्य भव में आकर गुरुओंं के चरणों में रहना चाहते हैं।
मनुष्य जीवन बहुत ही उत्तम होता है। धन और दौलत भी इसकी तुलना में कुछ नहीं है। देवाताओं के पास सब कुछ है पर वे मनुष्य जीवन पाना चाहते हैं।
मनुष्य को यह भव मिला है पर वे अपनी खुशी के लिए गलत कार्य करने में मस्त है। याद रहे
उपकार जीवन का सबसे कठिन कार्य है पर यह सबसे अलग होता है। जीवन को सफल बनाना है तो गुरुदेवों के चरणों में आएं।
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ऐसा ही मनुष्य को भी बिना भेदभाव के करना चाहिए। आत्मा का कल्याण करना है तो धर्म के रास्ते पर चलना बहुत ही जरूरी है।
मनुष्य द्वारा किया हुआ धर्म ही उसके काम आएगा, उसके अलावा कुछ भी उसके साथ नहीं होगा। इसलिए मनुष्य को धर्म का कार्य कर आत्मा को हल्का करना चाहिए।
इस मौके पर संघ के कोषाध्यक्ष गौतमचंद दुगड़ सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।