किलपॉक स्थित कांकरिया भवन में आज जिन शासन की पुकार प्रवचन माला में प्रावाधिराज पर्युषण पर्व के छटे दिवस संयम दिवस पर पुज्या महासती जी मुदितप्रभा जी ने अपने अति रोचक उदबोधन फरमाते हुए कहा आज छटा दिवस अपनी आत्मा का प्रतिक्रमण से शुद्धिकरण के बारे में बताते हुए कहा कि हमे प्रतिक्रमण कर हमें अपनी आत्मा को निर्मल बनाना है। प्रतिक्रमण का मतलब है अपने आप को भीतर से जोडऩा।
हमे अपनी गलतियों को जानना ओर पहचाना है। हमे अपनी गलतियों को जानने के लिए पीछे जाना होगा। प्रतिक्रमण से हमे हमारी कोनसी गलती है वो जानने के लिए है हम हमारे द्वारा हुई गलतियों पर तस्स इच्छामि दुगडं का ऐसिड डालते है। स्वयं को समझना ही प्रतिक्रमण है। और तप ही आत्मा को शुद्ध करने पर्व है।
अपने सार्थक संबोधन में महासती जी ने जीवन पर्यंत साधना और सामायिक को श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि जीवन की विकृतियों को उच्च चारित्र से ही नियन्त्रित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि केवल मनुष्य ही विश्व में एकलौता प्राणी है जो मोक्ष प्राप्त कर सकता है। जीवन एक चिंतन है ओर मानव को चिंतन जरूर करना चाहिए और गुरु के महत्व को बताते हुए कहा कि गुरु ही हमे दुर्गति से सदगति का मार्ग की ओर लेके जाते है।
गुरु के बिना हमारा जीवन अंधकारमय होता है।जिस व्यक्ति के जीवन मे गुरु नही मिला उसके जीवन मे अंधकार ही अंधकार है। गुरु हमे सही रास्ता बताते है। उस रास्ते चल कर हमारा जीवन सुधारा जा सकता है। हमारे जीवन मे गुरु से बढक़र कोई मूल्यवान वस्तु नही है। जो व्यक्ति गुरु के प्रति समर्पित होकर शिक्षा लेता है वह एक महान लक्ष्य हासील कर सकता है। गुरु क्रपा जिस व्यक्ति पर होती है उस के जीवन मे कभी अंधकार नही होता है। इस भव सागर से गुरु ही हमे पार करा सकते है।
रविवार को सामुहिक दया में 500 श्वावक ओर श्वाविकाए ओर दोपहर 2.बजे कांकरिया भवन में -आहो लोक की सेर करे .. सुंदर धार्मिक चित्र प्रर्दाशनी में लगभग 900 श्वावक ओर श्वाविकाए ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर जिनशासन की शोभा बढ़ाई। इस चातुमार्स प्रराभ से पचोला की लड़ी व कई बड़ी तपस्या चल रही है । अन्त में पुज्या महासती श्री इंदुबाला जी ने मंगलपाठ सुनाया। यह विज्ञपति श्री एस एस जैन संघ किलपाक के अध्यक्ष सुगंचन्द बोथरा ने दी।