आज विजयनगर स्थानक भवन में विराजित साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी म सा आदि ठाना 5 के सानिध्य में कर्नाटक गज केसरी घोर तपस्वी खद्दरधारी पूज्य गुरुदेव श्री गणेशी लाल जी म सा की 143वीं जन्म जयन्ती तीन तीन सामायिक के साथ जप तप व दयातप से बहुत ही हर्षोल्लास व उमंग के साथ मनाई गयी।
साध्वी श्री प्रेक्षाश्री जी म सा ने पूज्य गुरुदेव श्री गणेशी लाल जी म सा के जीवन परिचय के बारे में बताते हुए की राजस्थान जोधपुर बिलाड़ा ग्राम के सुश्रावक पिता पूनमचंद जी एव माता श्रीमति धुली बाई ललवानी के यँहा वि संवत 1936 कार्तिक शुक्ला 6 को जन्म लेकर मरुभूमि को पावन किया। नगरशुल में तपस्विरत्न श्री प्रेमराज जी म सा के कर कमलों से वी० सम्वत 1970 को दीक्षा प्रदान की गयी,तप एवं संकल्प की दृढ़ शक्ति से जैन जैनेतर सभी व्यक्तियों को धर्म रंग में रंगकर सम्यकदृष्टि प्रदान की।आपने पूरे कर्नाटक प्रान्त में उग्रविहार करके सिंह गर्जना के साथ कड़े उपदेश दिये।जिससे कर्नाटक जनता ने कर्नाटक गज केसरी उपाधि से अलंकृत किया।
साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी ने गुरु गणेश जाप व स्तुति से धर्म सभा को उन्मादित कर दिया।
विल्सन गार्डन से मुमुक्षबहन चंद्रा संचेती के साथ महिलासंघ तथा चेन्नई से बाबुलाल जी सुराणा व अन्य कई संघो के धर्मनिष्ठ महानुभावों ने इस पावन दिवस पर उपस्थित होकर संघ की शोभा बढ़ायी व साध्वीश्री के दर्शन धर्मचर्चा का लाभ लिया। संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार कोठारी ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए मुमुक्ष बहन का श्रीसंघ के पदाधिकारियों के साथ महिला मंडल की अध्यक्षा कमलाबाई बोहरा, सुशीला बाई लोढ़ा व बहु मंडल की अध्यक्षा अनिता कोठारी व पदाधिकारियों तथा ज्ञानशाला की अध्यापिकाओं ने चुंदड़ी व माला द्ववारा सम्मान किया।
संघ के मंत्री ने मुमुक्ष बहन के अभिवादन में संयम पथ का गुणगान करते हुए कहा कि केरोडो में कोई एक विरले होते हैं जो इस पथ पर बढ़कर अपनी आत्मा का कल्याण कर पाते हैं। इस शुभ अवसर पर मुमुक्ष बहन ने अपने मन के भाव ज्ञानशाला के बच्चों के समक्ष रखे, जिससे सभी बच्चे भाव विभोर हो गये। सभी बच्चों ने मुमुक्ष की प्रति मंगलमय कामनाएं की।