परम्परा के मूलपुरुष पूज्यश्री कुशलचन्द्रजी म.सा का 287 वां दीक्षा दिवस संघ समर्पण दिवस के रुप में मनाया गया |
दिनांक 6 मार्च 2025,गुरुवार चेन्नई-स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट परम्परा के मूलपुरुष पूज्यश्री कुशलचन्द्रजी म.सा का 287 वां दीक्षा दिवस संघ समर्पण दिवस के रुप मे श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के तत्वावधान मे स्वाध्याय भवन,साहूकारपेट,चेन्नई मे मनाया गया |
वरिष्ठ स्वाध्यायी भाई श्री लीलमचन्दजी बागमार तपस्वी रत्न कांतिलालजी तातेड़ व श्रावक रत्न उच्छबराजजी गांग ने कुशलचंद्रजी म.सा की स्तुति की | वरिष्ठ स्वाध्यायी वीरपुत्र वीरभ्राता आर वीरेन्द्रजी कांकरिया ने आचार्य पूज्यश्री हस्तीमलजी म.सा की कृति जैन धर्म का मौलिक इतिहास भाग चार के अन्तर्गत सामान्य श्रुतधर का विस्तृत विवेचन वांचन किया |
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,तमिलनाडु के निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने परम्परा के मूलपुरुष पूज्यश्री कुशलचन्द्र जी म.सा के गुणगान करते हुए कहा कि आपका जन्म मारवाड़ के सेठो की रिया ग्राम मे पिता श्री लादूरामजी चंगेरिया माता कानूबाईजी के यहां हुआ | बाल वय मे ही आपके पिताश्री का वियोग हो गया और बचपन मे ही आप पर परिवार की जिम्मेदारी आ गयी | संसार की नश्वरता को जानकर आपको नश्वर संसार से विरक्ति हो गयी और आचार्य श्री भूधरजी म.सा का सानिध्य पाकर आपका वैराग्य दृढ़तम हो गया और आचार्यश्री भूधरजी महाराज के मुखारविन्द से रिया मे जैन भागवती दीक्षा ली | अपने गुरुदेव की सेवा में प्रथम चातुर्मास मेड़ता में किया | आपके संयम की निर्मलता व तपस्तेज से प्रभावित होकर अनेक भाईयों ने आपके मुखारविन्द से जैन भागवती दीक्षा अंगीकार की |
योग्यता होते हुए भी आपने आचार्य पद ग्रहण नही किया | निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्र कांकरियाजी ने महापुरुष के गुणगान करते हुए उनकी विशेषता बताते हुए धर्मसभा मे कहा कि भीष्म प्रतिज्ञाधारी आचार्यश्री जयमलजी म.सा और श्री कुशलचन्द्रजी म.सा का परस्पर इतना घनिष्ठ प्रेम रहा कि दोनो के शिष्य परिवार अलग-अलग होते हुए भी दोनो महापुरुष प्रायः साथ-साथ ही रहे |
आपके मुखारविन्द से गुमानचंद्रजी म.सा दुर्गादासजी म.सा आदि अनेक सन्त रत्नों की भागवती दीक्षाएं हुई | आपका मुख्यतः विहार-विचरण मारवाड़,मेवाड़ एवं मालवा के क्षेत्रों में रहा | आपके गुरुदेव आचार्य भूधरजी म.सा का वियोग होने पर आपने अपने गुरुभाई जयमलजी म.सा की तरह ही ज़िन्दगी भर आड़ा आसन नही करने की अर्थात लेट कर नही सोने की दृढ़ प्रतिज्ञा की |
आपके संथारा पूर्वक समाधिमरण के पश्चात,आपने जिस बीज को अंकुरित पल्लवित व पुष्पित किया उसके संवर्धन का भार शिष्य श्री गुमानचंद्रजी म.सा ने रत्नवंश के प्रथम आचार्य के रुप मे बखुबी निभाया और जिनशासन में अति सुन्दर अभिवृद्धि की | रत्नवंश की गौरवशाली परम्परा का वर्तमान में रत्नवंश के अष्ठम पट्टधर आचार्य भगवन्त पूज्यश्री हीराचंद्रजी म.सा भावी आचार्यश्री महेन्द्रमुनिजी म.सा संचालन करते हुए जिनशासन में अति सुन्दर अभिवृद्धि कर रहे हैं |
धर्म सभा मे श्रावक संघ तमिलनाडु के कोषाध्यक्ष श्री अम्बालालजी कर्णावट रूपराजजी सेठिया जितेन्द्र जी कर्णावट पदमचन्दजी दीपकजी योगेशजी श्रीश्रीमाल वीरपिता वीरपति श्रावक रत्न बाबू धनपतराजजी सुराणा वीरपुत्र- वीरभ्राता अभयजी सुराणा वरिष्ठ स्वाध्यायी विनोदजी जैन स्वाध्याय संघ जोधपुर के सहसंयोजक श्री नवरतनमलजी बागमार की उपस्थिति रही |
सामूहिक नियम,प्रत्याख्यान,जैन संकल्प के पश्चात वीर पिता बाबू धनपतराजजी सुराणा ने मंगलपाठ किया | तीर्थंकरों,मूलपुरुष श्री कुशलचन्द्रजी महाराज,आचार्य भगवन्तों,उपाध्याय भगवन्त,भावी आचार्यश्री साध्वी प्रमुखा व चरित्र आत्माओं की जयजयकार के संग दीक्षा दिवस संघ समर्पण दिवस के रुप में सुसम्पन्न हुआ |
# प्रेषक:आर नरेन्द्र कांकरिया श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु,स्वाध्याय भवन,24/25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट, साहूकारपेट चेन्नई