चेन्नई. साहुकारपेट के जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा कि दुनिया में याद उन्ही को किया जाता है जिनमें कुछ हट कर बात होती है। गुणगान उन्हीं के होते है जिन्होंने ज्ञान प्राप्त कर लोगों में संदेश फैलाने का कार्य किया है।
मनुष्य सम्यक, ज्ञान, दर्शन और चारित्र के माध्यय में मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। उन्होंने कहा कि आत्मा और अग्नि का स्वभाव ऊपर उठना है। ज्ञान का प्रकाश मनुष्य की आत्मा को अच्छे मार्ग पर ले जाने का कार्य करता है।
मनुष्य को धर्म आराधना के जरिए खुद के मन को हल्का करने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि भारी चीजों को ऊपर उठाना बहुत ही कठिन होता है। लेकिन हल्की चींजे अपने आप ही ऊपर की दिशा में बढऩे लगती है।
उन्होंने कहा कि आत्मा अमर अजर है इसलिए गलत कार्य कर इसे दूषित नहीं करना चाहिए। आत्मा और शरीर अलग अलग होता है लेकिन लोग इसे एक समझ कर भूल करते रहते है।
जीवन के अंतिम क्षण में आत्मा किसी और शरीर में प्रवेश कर लेती है और शरीर मिट्टी मे मिल जाता है। जयकलश मुनि ने एक गीतिका के माध्यम से आत्मा के स्वरूप को समझाया।