ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा कि रागी से वीतरागी, जन से जिन और पाप से पुनीत बनाने की शक्ति केवल भगवान की वाणी में ही है। जिनवाणी से जीवन की तस्वीर को बदला जा सकता है। आध्यात्मिक जगत में त यानी तर जाओ, स यानी संसार से और वी यानी वीतराग में और र यानी रम जाओ होता है। इंसान जड़ तस्वीर को बदल सकता है।
इस मानव जीवन में अगर कषायों का शमन, विषयों का वमन, इंद्रियों का दमन और मोह का त्याग किया जाए तो जीवन की तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी।