पू.आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने फरमाया की शिष्य ने पूछा गुरुदेव से श्रावक की क्या पहचान है? श्रावक की *दो पहचान है* पहली है *पापभीरु ओर दूसरी है व्यवहार कुशलता*
🔻 *पाप* होते है तीन कारणों से-
मन से होते है वो मानसिक, काय से होते हे वो कायिक पाप है। काया से पाप होते है वे कायिक पाप है ।
लोग *पुण्य व धर्म* कम करते है पाप ज्यादा करते है क्योंकि *आकर्षण होता है* परिणाम दुखदायी होती है। प्रवर्तिया पापमयी है, ज्ञानियों की दृष्टि में दुःखदायी है।
किमपाक फल जहरीला होता है गंध अच्छी, रूप सुन्दर ,,स्थाद अच्छा होता है, वर्ण सुन्दर गंध अच्छी, फल देखकर मनुष्य आकर्षित होता है। भूल से भी किंपाक फल को खा उसका परिणाम मारक होता है, फल खाने के बाद ज्यादा नही रह सकता है।
*पाप* भी दिखने में अच्छे, करने में अच्छे लगते है पाप का फल दुखी दाई, नरक में ले जाता है।
उत्तराध्ययन सूत्र:-
*अपतथं अमबगं बुजझा*
वह राजा अकाल में आम खाकर मृत्यु को प्राप्त हो गया । नियंत्रण न हो तो वैद्य क्या कर सकता है ।
*जीवन बहता पानी नही पल भल रुक सकता,*
*जो होना है उसको कोई रोक नही सकता ,,*
पाप दिखने में अच्छा है , देखकर अच्छा लगता है, पाप करके पैसा कमाया में भी कमाऊ!!
पाप का भाव पैदा होता है ,यह मानसिक पाप है ।
पाप कर रहा है सजा को भोगेगा कोन साथी सहयोगी बनेगा ,,,
*तेरा किया तू भरे तो किसके लिये पाप करे,*
*अपनापन एक धोखा है क्यों किसी का होता है ,,*
संसार मे पाप ही *अपथ्य है,* धर्म का पथ्य *धर्म है* , अधर्म का पथ्य *पाप है*। धर्म करते हुए *पाप* करते है तो यह *अपथ्य* है इसका परिणाम बुरा आयगा ।
पाप के परिणाम देखोगे तो पाप के प्रति *अरुचि, अनास्था* हो जायेगी, अभी जागो कब जागोगे।
*पाप का त्याग, पूण्य का आदर , धर्म को अंगीकार करो*
पाप छोड़ते नही, पूण्य का आदर करते नही , धर्म को अंगीकार करते नही तो सुख शांति का अनुभव कैसे होगा ?
जतिन का पहला लक्ष्य *सेवा* और दूसरा *संयम* का था
*आपके जीवन का लक्ष्य क्या है ?*
यहां आता हूं तो यहां अच्छा लगता है , घर जाऊ तो वंहा अच्छा लगता है. …हंसी,,
*डामा डोल डब्बा गोल..* जिंदगी का भरोसा क्या है? पता नही अनिश्चित है , मोत निश्चित है , जीवन अनिश्चित है ,आज की रात सुबह होगी के नही पता नही!!
*मोत तो आयगी ही आयगी, जिस समय, जिस जगह आयगी अटल है ।*
थोडा सा चिंतन किया संसार के पाप,, पाप है *परिणाम का चिंतन* नही किया ।।
पाप दिल को *साफ नही करता , दिल को धर्म साफ करता है , पाप दिल को मेला करता है , *पापो को छोड़ो ना..* मानसिक, कायिक, वाचिक पाप को छोड़ो ,,
*पापो* के साथ शांति प्राप्त करोगे क्या??
🙏